डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी है जिसका सीधा असर इंसान के दिमाग पर पड़ता है। इसकी वजह होने वाले बाकी रोग भी सीधे दिमाग को हानि पहुंचाते हैं। जो लोग डिमेंशिया के शिकार होते हैं वे अपने दैनिक कार्यों को भी ठीक से करने में असमर्थ हो जाते हैं। इस बीमारी में सबसे पहले इंसान की याददाश्त पर असर दिखना शुरू हो सकता है यानी वह रोजमर्रा के आसान काम भी भूलने लगता है, हिसाब लगाने में परेशानी होने लगती है। मध्यम आयु वर्ग वाले लोगों के बल्ड प्रेशर में अचानक गिरावट डिमेंशिया या स्ट्रोक के बढ़ते खतरे का संकेत हो सकता है। रक्तचाप में गिरावट होने से उन्हें खड़े होने के दौरान बेहोशी, चक्कर आना जैसा महसूस होता है।
एक शोध के निष्कर्षो में कहा गया है कि ऐसे लोग, जिन्हें रक्तचाप में गिरावट का अनुभव किया, उनमें डिमेंशिया विकसित होने का 54 फीसदी ज्यादा जोखिम पाया गया। रक्तचाप में गिरावट महसूस करने वाली स्थिति को ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन कहते हैं। इनमें इस्केमिक स्ट्रोक विकसित होने की संभावना दोगुना पाई गई। यह स्थिति दिमाग को रक्त ले जाने वाली रक्त वाहिका में रक्त का थक्का बनने के कारण होती है। अमेरिका के मैरीलैंड में जॉन हॉकिंस विश्वविद्यालय की एंड्रिया रॉवलिंग्स ने कहा, “ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन दिल की बीमारी, बहोश होने और गिरने से जुड़ी हुई है, इसलिए हम यह जानने के लिए कि क्या निम्न रक्तचाप का यह प्रकार दिमाग से खास तौर से डिमेंशिया से जुड़ा है। बता दें कि शोध में 11,709 लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।
डिमेंशिया के लक्षण
– रोजमर्रा की आम बातें भूलना, जैसे नाश्ता किया था या नहीं।
– पार्टी का आयोजन न कर पाना, छोटी छोटी समस्याओं में उलझना।
– उल्टे कपड़े पहनना या गंदे कपड़े पहनना।
– तारीख, महीना, साल, शहर और घर के बारे में भूलना।
– किसी वस्तु का चित्र देखकर समझने में मुश्किल होना।
– हिसाब में जोड़ने और घटाने में दिक्कत, गिनती करने में परेशानी।
– बोलते या लिखते हुए गलत शब्द का प्रयोग करना, या शब्दों के अर्थ न समझ पाना।
– चीजों को गलत जगह पर रखकर भूलना।
– अपने आप में गुमसुम रहना, मेल-जोल बंद कर देना, चुप्पी साधना छोटी-छोटी बात पर, गुस्सा और चिल्लाना आदि।