Pilates Exercise, Benefits, Meaning: आज के समय में हर कोई स्वस्थ जीवन जीना चाहता है। लोग अपने फिटनेस को लेकर बहुत जागरुक हुए हैं इस बात का अंदाजा जिम में मौजूद भीड़ को देखकर लगाया जा सकता है। पर घर में रहकर भी आप कई ऐसे एक्सरसाइज कर सकते हैं जो वजन घटाने में हो सकते हैं फायदेमंद। इनमें से ही एक एक्सरसाइज है पिलेट्स।
बेटरहेल्थ में छपी एक खबर के मुताबिक पिलेट्स कैलिस्थेनिक्स एक्सरसाइज से प्रेरित 500 एक्सरसाइजेज की एक सीरिज है। यह शरीर में मौजूद अहम मसल्स को बैलेंस्ड तरीके से बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा यह मसल्स को अधिक लचीला और मजबूत भी बनाता है। हालांकि अगर आपको किसी प्रकार की मेडिकल परेशानी है तो इसे करने से डॉक्टर की सलाह अवश्य ले लें।
क्या होता है पिलेट्स- 1920 के दशक में जोसेफ पिलेट्स ने अमेरिका में पहली बार इसकी शुरुआत की। एथलीट्स और डांसर्स इस एक्सरसाइज को अपने चोट से उभरने के लिए और फिटनेस बकरार रखने के लिए करते हैं। खबर के अनुसार इसे एथलीट्स से लेकर आम आदमी यहां तक कि गर्भवती महिलाएं भी कर सकती हैं। कई जगह इस एक्सरसाइज को सिखाने के लिए क्लासेज भी चलाई जाती हैं। इसे करने से किसी पसीना नहीं निकलता। इस एक्सरसाइज को छोटे-छोटे अंतराल पर 5-10 मिनट तक करना चाहिए। इसे रोज आप लगभग 45 से 90 मिनट तक कर सकते हैं।
पिलेट्स के स्वास्थ्य संबंधी फायदे- इसे करने से शारीरिक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है और शरीर में लचीलापन आता है। इस एक्सरसाइज को करने से मानसिक शक्ति भी हासिल की जा सकती है। इसके अलावा पिलेट्स से पेट की मांसपेशियां और पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं। जोड़ों के दर्द में भी इसे करने से आराम मिलती है। आपका पोस्चर भी इस एक्सरसाइज को करने से बेहतर होगा। शारीरिक अवेयरनेस और कंट्रोल बढ़ाने में भी यह एक्सरसाइज मददगार है। इसके अलावा सांस लेने की क्षमता भी इसे करने से बढ़ती है। मस्कोस्केलेटल या फिर वात रोग की रोकथाम में भी यह एक्सरसाइज कारगर है। रीढ़ की हड्डी को मजबूती देने के अलावा यह एक्सरसाइज लोगों दिमागी तौर पर भी अधिक सक्रिय बनाता है। इस एक्सरसाइज को करने से तनाव में भी कमी आती है, साथ ही आप अधिक रिलैक्स महसूस करेंगे।
पिलेट्स के प्रकार- आमतौर पर पिलेट्स दो प्रकार का होता है। पहले में सारे एक्सरसाइज चटाई पर किए जाते हैं। जमीन पर इसे करने का मकसद होता हैं कि यह मांसपेशियों को अधिक मजबूत और रेसिसटेंट बना सके ताकि शरीर का बैलेंस बना रहे। वहीं, दूसरे में डंबल्स जैसे इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल कर मांसपेशियों को मजबूती प्रदान की जाती है।