ठंड का मौसम बहुत असमंजस भरा होता है। इन दिनों सुबह का मौसम अधिक ठंडा, दोपहर में धूप और रात में कोहरा और सर्दी दोनों सताते हैं। असमंजस भरे इस मौसम में लोग सर्दी का आनंद तो कम ले पाते हैं, इसके उलट बीमारियों के शिकार अधिक होते हैं। कभी जोड़ों का दर्द, तो कभी सर्दी लग जाने के कारण उल्टी, बुखार जैसी बीमारियों से जूझना पड़ता है। इन बीमारियों के अलावा कुछ बीमारियां मौसमी होती हैं, जैसे हाथों की खाल फटना या खुजली होना आदि। कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं जो किसी-किसी को हर मौसम में सताती हैं। उन्हीं बीमारियों में से एक है एलर्जी। एलर्जी एक ऐसी समस्या है, जो किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकती है। स्वामी दयानंद अस्पताल में जनरल फिजिशियन डॉक्टर ग्लैडविन त्यागी का कहना है कि गर्मी के बाद सर्दी आने पर तापमान में एकदम से बदलाव आता है। तापमान में गिरावट से किटाणु अधिक सक्रिय हो जाते हैं। इस वजह से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यही संक्रमण एलर्जी का कारण बनता है। इसी वजह से अन्य मौसम की तुलना में सर्दी में एलर्जी की समस्या अधिक होती है। तो इस मौसम में एलर्जी कैसे होती है, इसके होने के कारण क्या हैं और बचाव क्या हैं, जानते हैं।
प्रदूषण
डॉक्टर ग्लैडविन त्यागी के मुताबिक, लगातार खबरें आ रही हैं कि प्रदूषण खतरनाक स्थिति पर पहुंच गया है। यह प्रदूषण लोगों को कई स्तरों पर परेशान कर रहा है। वायु प्रदूषण बढ़ने और किटाणुओं की सक्रियता से एलर्जी होने की आशंका अधिक बढ़ जाती है।
फूलों के पराग कण
बहुत से लोगों को फूलों से एलर्जी होती है। जनवरी के बाद फरवरी का महीना आएगा। फरवरी के माह में फूलों के पराग कण उड़ते हैं। इन पराग कणों से भी बहुत से लोगों को एलर्जी होती है। तो कुल मिलाकर सर्दी के मौसम में बाकी मौसम के मुकाबले एलर्जी की आशंका अधिक बढ़ जाती है।
घर का वातावरण
डॉक्टर त्यागी के मुताबिक एलर्जी के पीछे कई प्रमुख कारण घर में ही छिपे हैं। घर का वातावरण अनुकूल हो जाने पर एलर्जी पैदा करने वाले किटाणु सक्रिय हो जाते हैं। इस मौसम में हम गरम कपड़े पहनते हैं। रजाई का उपयोग करते हैं। पहले रजाई को डंडे से कूट कर धूल निकाली जाती थी। लेकिन अब घरों में जगह की कमी की वजह से ऐसा कम हो पाता है। ऊनी कपड़ों में धूल भर जाती है। यह कण हमें दिखाई नहीं देते। यह भी एलर्जी की समस्या को बढ़ाते हैं।
धूल-मिट्टी के कण
यों तो धूल-मिट्टी हर मौसम में रहती है, लेकिन सर्दी के मौसम में अधिक निर्माण कार्य होने से भी धूल में इजाफा होता है। इसके अलावा जानवरों के बाल और परफ्यूम आदि से भी कुछ लोगों को एलर्जी होती है।
ऐसे करें बचाव
मास्क पहनें
डॉक्टर त्यागी के मुताबिक एलर्जी से बचने के लिए जरूरी है कि मास्क पहना जाए। मास्क आपको किटाणुओं से भी दूर रखेगा और प्रदूषण से भी बचाएगा।
खुद को रखें सुरक्षित
प्रत्येक व्यक्ति को अपने बारे में अच्छे से मालूम होता है। इसलिए वह यह भी जानता है कि उसे किन चीजों से एलर्जी है। एलर्जी का बचाव केवल दवाएं नहीं हैं, बल्कि आपको खुद को उन जगहों और वस्तुओं से बचाना होगा, जिनसे आपको एलर्जी होती है।
सर्दी में कपड़े
सर्दी में हम गरम कपड़े पहनते हैं, जिनमें धूल के कण भर जाते हैं। वे भी एलर्जी का प्रमुख कारण बनते हैं। डॉक्टर ग्लैडविन त्यागी के मुताबिक, इस मौसम में ऐसे कपड़े पहनें जो कम रेशे वाले हों। इसके अलावा रजाई, कंबल जैसे गरम कपड़ों की नियमित सफाई करें।
जानवरों का स्थान
बहुत से लोग घरों में पालतू जानवर पालते हैं। इन जानवरों के फर पूरे घर में उड़ते हैं। जो सांस में भी जाते हैं। जिनसे सांस संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए अगर आपने भी अपने घर में कोई जानवर पाला हुआ है, तो उसके लिए एक नियत स्थान बनाएं। ताकि उसकी वजह से किसी को एलर्जी की समस्या न हो।
खुजली से बचाव
बहुत से लोगों को खुजली की समस्या इस मौसम में अधिक सताती है। डॉक्टर ग्लैडविन त्यागी के मुताबिक इस मौसम में नमी खत्म हो जाती है, जिस वजह से शुष्कता बढ़ती है। रूखापन बढ़ने से खुजली होती है। इसके अलावा हाथों की त्वचा भी रूखेपन की वजह से फटती है। त्वचा को फटने से बचाने के लिए जरूरी है कि नियमित क्रीम, लोशन या फिर तेल लगाएं। नहाने के बाद तेल लगाएं, तो त्वचा के फटने की समस्या से पार पाया जा सकता है।