kidney disease symptoms in hindi: किडनी शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है और इसका काम शरीर की सफाई करना है। हमारे शरीर मे दो किडनियाँ होती हैं और आजीवन काल ये अपना काम सम्पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ करती है। इसके परिणामस्वरूप शरीर के अन्य अंग भी सही प्रकार से ‘काम कर पाते हैं। अतः अच्छा जीवन जीने के लिए गुर्दों का स्वस्थ रहना अनिवार्य है।

क्यों खराब हो जाती है किडनी?

मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली के नेफ्रोलॉजी एंड रीनल ट्रांसप्लांट मेडिसिन की प्रिंसिपल कंसल्टेंट, डॉ. मनीषा दस्सी ने जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि मोटापा आज की बदली हुई जीवन शैली का परिणाम है। वर्ज़िश वाले काम की कमी होना, ज़्यादातर काम बैठे बैठे करना, ज़्यादा चिकनाई वाला खाना खाना और व्यायाम की कमी; इन सब कारण से मोटापे की परेशानी बढ़ रही है। कोरोना काल के बाद मोटापे ने एक महामारी का रूप ले लिया है। मोटापा किडनी के ऊपर ज़्यादा बोझ डालता है, परिणाम स्वरूप समय के साथ धीरे धीरे गुर्दे कमज़ोर होने लगते हैं।

किडनी खराब होने के कारण

डॉक्टर मनीषा ने बताया कि गुर्दों की बीमारी के सबसे आम कारण हैं मधुमेह एवं ब्लड प्रेशर। इसके अलावा मोटापा, दर्द की गोलियों का अत्यधिक सेवन, गुर्दे की पथरी, धूम्रपान, प्रदूषण इत्यादि अन्य आम कारण हैं। कुछ जन्मजात एवं आनुवंशिक बीमारियां गुर्दों पर असर कर सकती हैं जैसे कि एक गुर्दा होना, रिफ्लेक्स नेफ्रोपैथी, हॉर्स शू किडनी, पॉली सिस्टिक किडनी डिसीज़ आदि। इसलिए अनिवार्य है कि इन आम बीमारियों को सही समय पर पहचाना जाए और बचाव व इलाज समय रहते शुरू किया जाए। समय पर लिए गये कदम गुर्दे के जीवन को लंबा करने मे सहयोग करते हैं।

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किडनी खराब होने के लक्षण

डॉक्टर मनीषा ने बताया बीमारी ज्यादा बढ़ने पर मरीज को पेशाब करने में परेशानी महसूस हो सकती है। पेशाब में जलन होना, झाग आना, पेशाब रुक रुक के आना, रात को कई बार पेशाब आना, ये सब किडनी रोग के लक्षण हैं। इसके अलावा पैरों मे या चेहरे पर सूजन आना, सांस लेने में परेशानी होना, थकावट, भूख ना लगना, उल्टी होना या मन खराब होना – ये सब किडनी बीमारी के ज़्यादा बढ़ने पर हो सकता है।

पेशाब मे झाग आने का मतलब होता है प्रोटीन का पेशाब मे लीक होना जो डायबिटीज, ब्लड प्रेशर के अलावा नेफ्रोटिक सिंड्रोम नामक बीमारी मे हो सकता है। इन सब लक्षणों के बारे में जानकारी अनिवार्य है ताकि लोग सही समय पर किडनी की बीमारी को पहचान सकें और उसका सही इलाज करा सकें।

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए क्या करें ?

डॉक्टर मनीषा ने बताया कि मधुमेह और ब्लड प्रेशर मोटापे से जुड़ी हुई बीमारियां हैं। इसलिए अनिवार्य है कि हम किसी ना किसी प्रकार की एक्सरसाइज जरूर करें और अपना वज़न सही रखें। अपने गुर्दों की रक्षा के लिए यदि हम अपने व्यस्त जीवन में से आधा घंटा रोज़ाना निकाल कर एक्सरसाइज करें तो ये काफ़ी मददगार साबित होगा। साथ ही साथ मधुमेह या ब्लड प्रेशर की फॅमिली हिस्टरी होने की अवस्था मे एवं बढ़ती उम्र के साथ नियमित जांच करवाना भी जरूरी है।

डॉक्टर ने आगे बताया कि जिन लोगों को गुर्दे की पथरी (Kidney Stone) की शिकायत है उन्हें दिन मे 3 से 4 लीटर पानी पीना जरूरी होता है! ऐसे लोगों को अपने खानपान का खास ख्याल रखना जरूरी होता है। खाने मे नमक कम से कम मात्रा में लेना चाहिए और जिन व्यंजनो मे छुपा हुआ नमक होता है उनसे दूर रहना चाहिए। पानी पीने की मात्रा मौसम के हिसाब से और हमारे शरीर की ज़रूरत के हिसाब से होनी चाहिए, जैसे कि गर्मी के मौसम मे ज्यादा जरूरत रहती है तब 3 से 4 लीटर हर दिन पानी पीना चाहिए और सर्दियों में कम आवश्यकता होने के चलते 1.5 से 2 लीटर से भी शरीर की जरूरत पूरी हो जाती है। ये पानी की मात्रा गुर्दे की बीमारियों मे बदल जाती है, इस लिए अपने चिकित्सक से इसके बारे में विचार विमर्श करना आवश्यक है।

धूम्रपान एवं प्रदूषण दोनों ही गुर्दे के लिए हानिकारक हैं, इसलिए इनसे जितना दूर रहा जाए उतना अच्छा है। पोषक आहार जिसमें हरी सब्जियां, फल, होल ग्रेन्स, सलाद, दूध, मांसाहारी खाने मे मछली, चिकन एवं अंडा सम्मिलित हों, ऐसे फूड्स पूरे शरीर के साथ किडनी को भी स्वस्थ रखते हैं। सही समय पर गुर्दे की बीमारी पहचानना भी जरूरी है, जिससे इलाज सही समय पर शुरू किया जा सके। किडनी की बीमारी ज़्यादातर मरीजों में कोई शुरुआती लक्षण नहीं देती, इसलिए इसको साइलेंट किलर भी कहा जाता है। अतः आवश्यक है कि बढ़ती उम्र एवं रिस्क फैक्टर होने की परिस्थिति में समय समय पर रुटीन जांच कराई जाए।