How to Protect Child Eyes from Mobile Screen : कोरोनावायरस महामारी के चलते बच्चों का स्कूल जाना बन्द हो गया है। ऐसे में उनकी क्लास ऑनलाइन ही चल रही है। बच्चे स्मार्टफोन या लैपटॉप पर ही ज्यादातार समय बिता रहे हैं। स्मार्टफोन और लैपटॉप का इस्तेमाल ज्यादा समय तक करने से उनकी आंखों पर बुरा असर हो रहा है।
स्मार्टफोन से निकलने वाली नीली रोशनी बच्चों के नींद में भी खलल पैदा करती है। इस रोशनी के प्रभाव से शरीर में मेलाटोनिन नामक रसायन बनना बन्द हो जाता है और नींद नहीं आती है। दिनभर स्मार्टफोन इस्तेमाल करने से आंखों में दर्द और सूखेपन की शिकायत होने लगती है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थालमोलॉजी के एक शोध में यह कहा गया है कि स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से बच्चों की आंखों में सूखेपन की समस्या आती है जिससे उनकी आंखों की देखने की क्षमता और स्कूल परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है। ऑनलाइन क्लास की वजह से माता-पिता बच्चों को फोन से दूर भी नहीं रख पाते हैं। लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर स्मार्टफोन से आंखों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
स्मार्टफोन की ब्राइटनेस को सही से एडजस्ट करें। ध्यान रखें कि स्क्रीन की ब्राइटनेस न तो बहुत कम हो और न ही बहुत ज्यादा हो।
बच्चे जिस मोबाइल या लैपटॉप से पढ़ रहे हैं उसके टेक्स्ट का साइज और कंट्रास्ट सही रखें। इससे उनकी आंखों पर जोर कम पड़ेगा और आंखें खराब होने का डर भी कम हो जाएगा।
बच्चों को कहें कि वो स्मार्टफोन से कम से कम 8 इंच की दूरी बनाकर उसका इस्तेमाल करें। साथ ही पास से फोन देखने के नुकसान भी बताएं। ताकि बच्चे आपकी चिंता को समझ सकें।
बच्चे लगातार बिना पलकों को झपकाए फोन देखते हैं। इससे उनकी आंखों में जलन और सूखेपन की दिक्कत होती है। उन्हें थोड़ी-थोड़ी देर में पलकें झपकाते रहने को कहें। इससे आंखों को कुछ पलों के लिए आराम मिलता है।
लगातार उन्हें फोन इस्तेमाल न करने दें। हर आधे घंटे पर कुछ समय के लिए ब्रेक लेने को कहें। अपने स्मार्टफोन की स्क्रीन पर एंटीरिफ्लैक्टिंग कोट या प्रोटेक्टर लगवाएं।
अगर बच्चे की आंखों में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने से ज्यादा दिक्कत आने लगी है तो तुरंत किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।