देश की टॉप दवा विनियामक संस्था यानी केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने देश की लगभग 50 दवाओं को लेकर एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें इन्हें नकली या मानक क्वालिटी के अनुरूप नहीं बताया गया है। इन 50 दवाओं में कई ऐसी हैं, जिनका इस्तेमाल लोग आम दिनों में बुखार से लेकर एसिडिटी तक की परेशानियों से निजात पाने के लिए करते हैं। इनमें पैरासिटामॉल से लेकर शुगर के लिए इस्तेमाल होने वाली मेटफॉर्मिन है। इसके अलावा नकली दवाओं की इस लिस्ट में पैंटोप्राजोल भी शामिल हैं, जो कि एसिडिटी के दौरान इस्तेमाल की जाती है।
बता दें कि CDSCO हर महीने ही उन दवाओं की लिस्ट रिलीज करता है, जो कि जो मानक क्वालिटी चेक यानी NSQ के अनुरूप नहीं पाई जाती हैं। केंद्र और राज्य औषधि विनियामक नियमित रूप से बाजार से विभिन्न दवाओं के सैंपल्स कलेक्ट करते हैं और फिर उनकी टेस्टिंग करते हैं। ऐसे में हर महीने आने वाली लिस्ट में उन दवाओं की जानकारी दी जाती है, जो कि टेस्ट में फेल हो जाती हैं।
मेटफॉर्मिन शरीर में घुलने में फेल
कुछ इसी तरह पिछले महीने जब CDSCO ने ऐसी खराब क्वालिटी वाली दवाओं की लिस्ट जारी की थी, तो मेटफॉर्मिन शामिल थी। इसको लेकर जांच में पाया गया कि यह दवा विघटन परीक्षण में विफल रही है। इसका मतलब यह है कि दवा लेने के बाद बॉडी में सही तरीके से घुलने में फेल हो रही थी, जिसके चलते वह शरीर पर कुछ खास असर नहीं कर पाती है।
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दवाओं से कंपनियों का भी हो जाता है क्वालिटी चेक
मथिली लिस्ट इसलिए रिलीज की जाती है जिससे परीक्षण में फेल हुई बाजार में मौजूद उन दवाओं की जानकारी आम लोगों से लेकर सरकारी स्वास्थ्य विभागों, उद्योग और राज्य दवा विनियामकों को हो सके है। इसकी वजह यह है कि दवाओं के टेस्ट रैंडम तरीके से किए जाते हैं, जिससे दवा की रिपोर्ट भी आम लोगों के सामने आती है, साथ ही यह भी पता चल जाता है कि कंपनियां किस क्वालिटी की दवाएं बना रहीं हैं।
NSQ या नकली दवाओं का क्या है मतलब?
अब सवाल यह है कि एनएसक्यू या नकली दवाइयां क्या हैं? तो बता दें कि जब औषधि नियामकों द्वारा गुणवत्ता जांच की बात आती है, तो उसमें फेल होने वाली दवाओं को तीन कैटेगरीज में बांटा जाता है।
नकली दवाएं: ये ऐसी दवाएं होती है, जो कि दूसरे पॉपुलर ब्रांड्स की नकल करके बनाई जाती हैं, जिससे उन्हें लोग उन्हें खरीदने में धोखा खा जाएं। इनमें बीमारियों को ठीक करने के कारक हो भी सकते हैं और नहीं भी।
NSQ दवाएं: इन दवाओं की बात करें तो ये गलत डीटेल्स वाली हो सकती है। ये ठीक से न घुलने या बीमारी को ठीक करने के कारकों की कम मात्रा होने के चलते फेल हो जाती हैं।
मिलावटी दवाएं: मिलावटी दवाओं की बात करें तो इसमें शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले कारक भी होते हैं, जिसके चलते उन दवाओं की खेप को रोका जा सकता है, या बैन भी दिया जा सकता है।