Dr S K Sarin Tips for Healthy Heart: मेडिकल साइंस जितनी ज्यादा तरक्की कर रही हैं बीमारियां भी उतनी ही तादाद से पनप रही हैं। कोविड-19 के हमारे बीच आने के बाद दिल के रोगों का खतरा बढ़ने लगा है। पिछले तीन सालों में ऐसे हजारों मामले सामने आ चुके हैं जिसमें कम उम्र में ही मरीज की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है। हार्ट अटैक दिल से जुड़ी बीमारी है जिससे बचाव करने के लिए दिल की सेहत का ध्यान रखना जरूरी है। आप जानते हैं कि एक खास टेस्ट है जो आपको भविष्य के बारे में बता सकता है।
इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलरी साइंसेज नई दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. एस के सरीन देश के सबसे बड़े लिवर के डॉक्टरों में हैं उन्होंने युवाओं को एक टेस्ट कराने की सलाह दी है। एक्सपर्ट के मुताबिक अगर युवा 26 साल की उम्र में SGPT टेस्ट करा लें तो ये पता चल सकता है कि किस उम्र में उन्हें हार्ट अटैक आने का खतरा ज्यादा है। एक सिंपल सा टेस्ट आपकी हेल्थ का भविष्य बता देगा।
SGPT लिवर का एक टेस्ट है जो बेहद मामूली दामों 20 से 30 रुपये में हो जाता है। एक्सपर्ट ने बताया अगर 26 साल का लड़का SGPT टेस्ट कराता है और उसका SGPT 80 है तो उस लड़के को पहला कार्डियक अरेस्ट या हार्ट प्रोब्लम 36 साल की उम्र में होगी इसका 7 गुणा ज्यादा चांस है। अगर 26 साल की उम्र में आप फिट है, जिम जाते हैं और आपकी बॉडी भी हट्टी कट्टी है लेकिन आपका SGPT 80 है तो आपकी ओवर ऑल सेहत खतरे में है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि SGPT कैसे दिल के रोग और लिवर की सेहत का हाल बता सकता है।
SGPT टेस्ट क्या है?
SGPT एक ऐसा टेस्ट है जो पूरी बॉडी का इंफ्लामेशन का स्तर बताता है। SGPT और SGOT दो तरह के लिवर एंजाइम है। SGPT खासतौर पर लीवर में ही पाया जाता है। बॉडी में SGPT का स्तर अगर ज्यादा है तो न सिर्फ लिवर के लिए खतरा है बल्कि दिल के लिए खतरा बन सकता है।
SGPT का कौन सा स्तर दिल का रोगी बना सकता है?
लीवर में पाया जाने वाले इस एंजाइम का स्तर दिल के दौरे या मांसपेशियों की चोटों के दौरान बढ़ सकता है। लिवर के टिशू को नुकसान पहुंचाने के दौरान SGPT का स्तर बढ़ने लगता है। अगर एक 26 साल के लड़के का SGPT 80 है तो ये स्तर बहुत ज्यादा है बेशक वो इंसान जिम में वर्कआउट करता है,बॉडी को फिट रखता है।
SGPT की नॉर्मल रेंज कितनी है?
SGPT की नार्मल वैल्यू 30 है। जिस इंसान का SGPT 80 पहुंच गया है तो समझ जाएं कि इस शख्स को आने वाले 8-9 सालों में कार्डियक अरेस्ट आ सकता है। अगर ब्लड में SGPT का स्तर 56 यूनिट से ज्यादा है तो लिवर के लिए ये खतरा है।
SGPT बढ़ने से कैसे बढ़ता है दिल के रोगों का खतरा?
SGPT बढ़ने से दिल के रोगों का जोखिम बढ़ने लगता है। बढ़े हुए हेपेटिक एंजाइम मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध और हाई कोलेस्ट्रॉल से जुड़े हो सकते हैं जो दिल के रोगों के जोखिम का कारण बनते हैं।
SGPT बढ़ने का कारण क्या है?
SGPT बढ़ने के लिए कई कारण हैं जैसे बढ़ता मोटापा, डायबिटीज की बीमारी, हार्ट अटैक, हेपेटाइटिस सी, गॉल ब्लैडर में सूजन होना और शराब का अधिक सेवन करने से भी SGPT का स्तर बढ़ने लगता है।
SGPT का स्तर ज्यादा होने के लक्षण
बॉडी में SGPT का स्तर ज्यादा होने पर कुछ लक्षण दिखने लगते हैं जैसे बॉडी में कमजोरी होना, मतली होना, बहुत अधिक थकान, उल्टी होना, सांस लेने में तकलीफ होना, पैरों में सूजन होना, पीलिया की परेशानी, ब्लीडिंग ज्यादा होना और चोट लगना शामिल हो सकता है।