हाल में एक नए शोध में अलग तरह की शल्यक्रिया में कामयाबी मिली है। इससे दान में उपलब्ध अंगों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि नई तरह की सर्जरी में पूरी तरह मृत व्यक्ति के हृदय का भी प्रत्यारोपण के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।
ड्यूक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि जिन मृत शरीरों में रक्त-संचार पूरी तरह बंद हो चुका है, उनमें से भी हृदय को प्रत्योरोपण के लिए लिया जा सकेगा और इससे उपलब्ध अंगों की संख्या 30 फीसद तक बढ़ जाएगी। यानी ऐसे ज्यादा लोगों की जान बच पाएगी, जिन्हें हृदय के प्रत्यारोपण की जरूरत है, लेकिन अंग उपलब्ध नहीं हैं।
ड्यूक यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसिन के डा जैकब श्रोडर इस शोध का नेतृत्व कर रहे हैं। उनके मुताबिक, लोग इस विधि का इस्तेमाल करने लगें तो संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है। यही अब मानक होना चाहिए।आमतौर पर अंग प्रत्यारोपण के लिए दान लेने की मौजूदा प्रक्रिया के तहत पहले चिकित्सक मरीज की गहन जांच करते हैं कि मस्तिष्क पूरी तरह मृत हो चुका है या नहीं। उस शरीर को वेंटिलेटर पर रखा जाता है ताकि हृदय अपना काम करता रहे और अंगों को तब तक आक्सीजन मिलती रहे, जब तक कि उन्हें निकाल ना लिया जाए।
दूसरी विधि में दान करने वाले व्यक्ति का मस्तिष्क काम कर रहा होता है और लेकिन उसके बचने की संभावना नहीं होती, लिहाजा परिजन फैसला करते हैं कि जीवन रक्षक प्रणाली हटा ली जाए। ऐसा होते ही हृदय काम करना बंद कर देता है और अंगों को रक्त-संचार के जरिए आक्सीजन मिलनी बंद हो जाती है। ऐसे शरीरों से किडनी और कुछ अन्य अंग तो लिए जाते हैं लेकिन हृदय लेने को लेकर चिकित्सक अनिश्चित होते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वह क्षतिग्रस्त हो चुका है।
अब नई विधि में चिकित्सकों ने ऐसे मृत शरीर से भी हृदय लेने का तरीका निकाला है। वे उस हृदय को एक ऐसी मशीन में डालते हैं जो उसे फिर से चला देती है। उस मशीन में हृदय फिर से काम करने लगता है और रक्त व पोषक तत्वों को उसी तरह बाहर भेजता है, जैसे जिंदा शरीर में भेज रहा था। इससे विशेषज्ञों को पता चल जाता है कि हृदय दुरुस्त है और उसमें कोई नुकसान हुआ है या नहीं।
यह शोध बड़े पैमाने पर किया गया है। दुनिया के कई देशों में 180 मरीजों का हृदय प्रत्यारोपण किया गया। इनमें से आधों को पुरानी विधि से और बाकी आधों को नई विधि से प्रत्यारोपण किया गया। छह महीने बाद दोनों श्रेणी के मरीजों में जीवन दर लगभग बराबर रही। न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन में छपे शोध पत्र के मुताबिक सामान्य विधि से हृदय पाने वाले मरीजों में से 90 फीसद जीवित रहे, जबकि नई विधि में जीवन दर 94 फीसदा थी।
पिछले साल अमेरिका में 4,111 लोगों का हृदय प्रत्यारोपण हुआ जो एक कीर्तिमान है। इसके बावजूद बहुत बड़ी संख्या में लोगों को प्रत्यारोपण के लिए हृदय नहीं मिल पाया क्योंकि अंग उपलब्ध नहीं थे। हर साल लाखों को लोगों को हृदय घात होता है लेकिन कुछ ही प्रत्यारोपण करवा पाते हैं और अंग के इंतजार में ही मर जाते हैं।