अस्थमा (Asthma) एक दीर्घकालिक श्वसन रोग है, जिसमें फेफड़ों तक हवा पहुंचाने वाली नलियां यानी एयरवेज़ संवेदनशील और सूजी हुई रहती हैं। जब इन नलियों में सूजन आ जाती है या ये सिकुड़ जाती हैं, तो सांस लेने में परेशानी होती है। अस्थमा के दौरान व्यक्ति को सांस फूलना, सीने में जकड़न, घरघराहट की आवाज और बार-बार खांसी की शिकायत हो सकती है। यह बीमारी पूरी तरह ठीक तो नहीं होती, लेकिन सही इलाज और सावधानियों से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।

अस्थमा होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार होते हैं। इसमें अनुवांशिक कारण अहम भूमिका निभाते हैं, यानी अगर परिवार में किसी को अस्थमा है तो इसका खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा धूल, धुआं, पराग कण, पालतू जानवरों के बाल, ठंडी हवा, प्रदूषण, सिगरेट का धुआं, वायरल इंफेक्शन, मौसम में अचानक बदलाव और तेज खुशबू वाले केमिकल्स अस्थमा को ट्रिगर कर सकते हैं। कुछ लोगों में ज्यादा तनाव, मोटापा और कमजोर इम्युनिटी भी अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा देती है। सर्दी में इन सभी कारणों की वजह से अस्थमा के मरीजों का दम घुटने लगता है। यही वजह है कि अस्थमा अलग-अलग लोगों में अलग कारणों से उभरता है और समय-समय पर इसके लक्षण तेज हो सकते हैं। सर्दी में अस्थमा के मरीजों को ज्यादा परेशानी होती है। ठंडी हवा अक्सर अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा देती है और सांस लेने में परेशानी पैदा करती है। 

एस्टर सीएमआई हॉस्पिटल, बेंगलुरु में लीड कंसल्टेंट,  इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी,  डॉ. सुनील कुमार ने बताया सर्दियों के मौसम में अस्थमा के लक्षण बढ़ जाते हैं, क्योंकि ठंडी हवा सीधे संवेदनशील वायुमार्गों (एयरवेज़) को प्रभावित करती है। ठंडी हवा एयरवेज़ को इरिटेट करती है और उन्हें और ज्यादा संकुचित कर देती है। इसके अलावा सर्दियों की हवा शुष्क होती है, जिससे श्वसन तंत्र में जलन बढ़ती है और खांसी व घरघराहट की समस्या होने लगती है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि सर्दी में अस्थमा के मरीजों को कौन-कौन सी परेशानी होती है और इससे बचाव कैसे करें।

सर्दी में अस्थमा के मरीजों की क्यों बढ़ती हैं परेशानियां?

सर्दियों में लोग ज्यादा समय घर के अंदर बिताते हैं, जिससे वायरल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। डॉ. कुमार के अनुसार सर्दी और फ्लू जैसा वायरल इंफेक्शन सर्दियों में ज्यादा होता हैं और ये अस्थमा अटैक के लक्षण को ट्रिगर कर सकती है। इसके अलावा सर्दियों में धूप कम मिलने से शरीर में विटामिन D का स्तर घट सकता है, जिससे इम्यूनिटी कमजोर पड़ती है। डॉ. कुमार यह भी बताते हैं कि अचानक तापमान में बदलाव, जैसे गर्म कमरे से सीधे ठंडे बाहर निकलना, संवेदनशील एयरवेज़ पर दबाव डालता है और अस्थमा के लक्षणों को और तेज कर सकता है।

सर्दी में अस्थमा के लक्षण ट्रिगर क्यों होते हैं? 

सर्दियों में ठंडी और सूखी हवा अस्थमा का सबसे बड़ा ट्रिगर होती है, जिससे खांसी, सीने में जकड़न और सांस फूलने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा ठंडी हवा, वायरल संक्रमण, तेज खुशबू वाले रूम फ्रेशनर क्लीनिंग प्रोडक्ट्स और अचानक तापमान में बदलाव भी एयरवेज़ को नुकसान पहुंचाते हैं। अगर नियमित दवाओं के बावजूद लक्षणों में सुधार न हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉ. कुमार ने बताया अगर बार-बार घरघराहट, खांसी या सीने में जकड़न हो, खासकर रात या सुबह के समय तो मेडिकल मदद जरूरी लें। सांस बहुत तेज या तकलीफदेह हो जाए, होंठ या नाखून नीले पड़ने लगें, बुखार के साथ गाढ़ा बलगम आए, अत्यधिक थकान महसूस हो, पूरा वाक्य बोलने में दिक्कत हो या कम समय में बार-बार अस्थमा अटैक हो तो इसे घर पर मैनेज नहीं करना चाहिए।

सर्दियों में अस्थमा से बचाव के आसान उपाय

डॉ. सुनील कुमार के अनुसार सर्दियों में कुछ आसान सावधानियां अस्थमा अटैक के खतरे को कम कर सकती हैं। बाहर जाते समय स्कार्फ या मास्क पहनें, ताकि ठंडी हवा सीधे फेफड़ों तक न पहुंचे। डॉक्टर द्वारा बताए गए इनहेलर नियमित रूप से लें और रेस्क्यू इनहेलर हमेशा साथ रखें। बहुत ज्यादा ठंड के संपर्क से बचें, घर के अंदर साफ-सफाई रखें। हीटर का सुरक्षित इस्तेमाल करें और कमरे में सही वेंटिलेशन बनाए रखें। बार-बार हाथ धोना, फ्लू वैक्सीन लगवाना, शरीर को गर्म रखना, पौष्टिक भोजन करना और गुनगुने तरल पदार्थ पीना भी सर्दियों में फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

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डिस्क्लेमर: यह लेख सार्वजनिक स्रोतों और हमारे द्वारा बातचीत किए गए विशेषज्ञों से मिली जानकारी पर आधारित है। किसी भी नई दिनचर्या या उपचार को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।