एक सप्ताह में हम तकरीबन 2000 प्लास्टिक पार्टिकल्स अपने शरीर में ले रहे हैं। इसका वजन लगभग 5 ग्राम होता है जोकि क्रेडिट या डेबिट कार्ड के वजन के बराबर कहा जा सकता है। WWF(वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर) की एक स्टडी के मुताबिक, एक हफ्ते में हर इंसान के शरीर में लगभग 1,769 प्लास्टिक पार्टिकल्स सिर्फ पानी के जरिए पहुंचते हैं। वहीं नमक के जरिए 11 और बीयर के जरिए हर सप्ताह 10 प्लास्टिक पार्टिकल्स हम कनज्यूम करते हैं।

प्लास्टिक या ज़हर! इतना प्लास्टिक खाकर कैसे बचेंगे हम: रिपोर्ट में जहां हर हफ्ते 5 ग्राम प्लास्टिक हमारी पेट में जाने की बात कही गई है वहीं आंकलन ये भी है कि ये एक महीने में 21 ग्राम प्लास्टिक हो जाता है। इसके अलावा एक साल के अंदर हमारी पेट में 250 ग्राम प्लास्टिक यानी 4 प्लास्टिक कटोरियों के बराबर प्लास्टिक जा रहा है। वहीं अगर पूरी उम्र तकरीबन 79 साल की का आंकड़ा जुटाएं तो ये 20 किलो प्लास्टिक हो जाता है यानी दो बड़े डस्टबीन से भरा प्लास्टिक हमारे पेट में जाता है। अब आप सोच सकते हैं कि हम जाने या अनजाने कितना प्लास्टिक पेट में डाल रहे हैं। और निश्चित तौर पर प्लास्टिक खाने से कैंसर जैसा खतरा कितने करीब पहुंच चुका है हमारे आपके इसका भी आप अंदाजा लगा सकते है।

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इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक हमारी हेल्थ को काफी प्रभावित करती है। समुद्री भोजन और फूड प्रोडक्ट्स, पीने के पानी और हवा के माध्यम से मनुष्य प्लास्टिक के कणों के संपर्क में आ रहे हैं। हालांकि, मानव जोखिम, क्रोनिक विषाक्त प्रभाव सांद्रता और अंतर्निहित तंत्र जिसके द्वारा माइक्रोप्लास्टिक इलीट प्रभाव अभी भी मनुष्यों के लिए जोखिम का पूरा आंकलन करने के लिए पर्याप्त रूप से नहीं समझा गया है।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की इंटरनेशनल डायरेक्टर जनरल मार्को लैंबरटिनी ने बताया कि प्लास्टिक ना सिर्फ शहरों को बल्कि इंसान के शरीर को भी बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। इन्होंने यह भी बताया कि लोग एक साल में लगभग 250 ग्राम प्लास्टिक निगल जा रहे हैं। हालांकि लोगों को इस बात की जानकारी भी नहीं है।

प्लास्टिक के चीजों के नुकसान:

– अक्सर लोग प्लास्टिक के कप और डिस्पोजेबल में गर्म चीजें लेकर खाना पीना शुरू कर देते हैं लेकिन ये नहीं सोचते कि उन प्लास्टिक में केमिकल मौजूद हो सकता है जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।
– प्लास्टिक में मौजूद हार्मफुल केमिकल कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। यह कैंसर सेल्स को बढ़ानवा देता है।
– प्लास्टिक में शीशा और आर्सेनिक का उपयोग किया जाता है जो विषैले होते हैं और जिसके कारण कैंसर होने का खतरा बढ़ता है।
– वैज्ञानिकों ने बताया है कि प्लास्टिक से 90 प्रतिशत कैंसर होने का खतरा बढ़ता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ पर्यावरण कार्यक्रम की रिपोर्ट के अनुसार, 9% प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग होती है-

1. 1 लाख करोड़ प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल हर साल किया जा रहा है।
2. 609 करोड़ टन प्लास्टिक कचरे के रूप में धरती पर फेंका जाता है।
3. 79 प्रतिशत कचरा जमीन में भरा गया है।

प्लास्टिक बैग्स बहुत से जहरीले केमिकल्स से मिलकर बनते हैं। जिनसे स्वास्थ्य और पर्यावरण को बहुत हानि पहुंचती है। प्लास्टिक बैग्स बनाने में जायलेन, इथिलेन ऑक्साइड और बेंजेन जैसे केमिकल्स का इस्तेमाल होता है। इन केमिकल्स से बहुत सी बीमारियां और विभिन्न प्रकार के डिसॉडर्स हो जाते हैं।

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