जाती बरसात के मौसम में कई बीमारियां हमला करती हैं। इस मौसम में अनेक तरह के बैक्टीरिया और वायरस पैदा होते हैं, जो गले, नाक, आंख आदि में संक्रमण पैदा करते हैं। इसके अलावा मच्छरों के काटने से भी बीमारियां होती हैं, जिनमें मलेरिया, डेंगू आदि का खतरा बना रहता है। वायरल बुखार की भी आशंका रहती है। जिन इलाकों में बाढ़ या जलजमाव की समस्या रहती है, उन इलाकों में ऐसी बीमारियों की आशंका अधिक रहती है। इसलिए इस मौसम में कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है।
खानपान में सावधानी
इस मौसम में किसी भी तरह का कोई बासी भोजन न करें। जहां तक हो सके, गरम भोजन करें। बाजार के खाने से परहेज करें। खासकर बच्चों को बाजार की चाजें खाने से रोकें। उन्हें जहां तक हो सके ताजा भोजन ही खाने को दें।
इस मौसम में पत्तेदार सब्जियों जैसे पत्ता गोभी, पालक आदि और गोभी, मूली जैसी सब्जियों को भोजन में शामिल न करें। इस मौसम में कीड़े इन सब्जियों में छिप जाते हैं, जो गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। बाजार में चाइनीज खाने में पत्ता गोभी का इस्तेमाल जरूर होता है, इसलिए बच्चों को ऐसा भोजन खाने से रोकें।
पानी हमेशा साफ ही इस्तेमाल करें। अगर बाहर पानी पीना हो, तो भरोसेमंद बंद बोतल का पानी ही पीएं, क्योंकि गंदा या दूषित पानी पेट संबंधी बीमारियामं पैदा करता है।
साफ-सफाई है जरूरी
इस मौसम में घरों की दीवारों में नमी आ जाती है। फर्श पर गंदगी जमा होती रहती है। इस तरह नमी की वजह से घर के भीतर बैक्टीरिया जमा होते रहते हैं। अगर घर में गमले और पौधे रखे हैं, तो वहां मच्छर भी पैदा होने शुरू हो जाते हैं। इस तरह घर के भीतर सफाई का विशेष ध्यान रखना होता है। घर में रोज फिनायल या बैक्टीरिया नाशक किसी भी रसायन वाला पोंछा जरूर लगना चाहिए।

घर में अगर कूलर इस्तेमाल करते हैं, तो उसके पानी में लाल दवा या मिट्टी का तेल जरूर डालें। इसी तरह गमलों के आसपास मिट्टी के तेल का छिड़काव करें, ताकि मच्छर न पनपने पाएं। अगर घर के भीतर मच्छर अधिक हो गए हैं, तो शाम को घर में कपूर को मच्छर भगाने वाली मैट की जगह जलाएं। इसके अलावा एक तेजपत्ता पर नीम का तेल और लौंग डाल कर जलाएं, ताकि उसका धुआं घर में भर जाए। इससे मच्छर बहुत तेजी से घर से भागते हैं। इसके अलावा दूसरे तरह के बैक्टीरिया भी नष्ट होते हैं। रोज सुबह-शाम अगरबत्ती जलाने से भी बैक्टीरिया रोकने में मदद मिलती है।

भोजन पकाने के बाद बहुत ध्यान से चूल्हे और फिर बर्तन धोने की जगह की सफाई करें। आमतौर पर लोग बर्तन धोने की सिंक और उसके नीचे की जाली और पाइप का ध्यान नहीं रखते, जबकि वहीं बैक्टीरिया पैदा होते रहते हैं। इसलिए इन जगहों की सफाई बहुत जरूरी है। भोजन से पहले और बाद में ठीक से हाथों की सफाई तो जरूरी है ही, जब भी बाहर से आएं, पूरे शरीर को गीले कपड़ से पोंछें या नहाएं, नहीं तो बाहर के बैक्टीरिया पसीने में चिपक कर घर तक पहुंच जाते हैं।
इस मौसम में अपने पीने के पानी में अगर तुलसी के रस का उपयोग करें, तो वह बहुत तरह के बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। इस तरह कई तरह के संक्रमण से बचा जा सकता है। इसके लिए पानी के जग या बोतल में पानी में तुलसी के कुछ पत्ते डाल कर रखें और वही पानी पीएं।
सार्वजनिक वाहनों में सफर करते समय
अक्सर सार्वजनिक वाहनों में सफर करने से भी संक्रमण की आशंका रहती है। सार्वजनिक बसों, मेट्रो आदि में आप सफर करते हैं, तो जरूरी नहीं कि आपकी साफ-सफाई पर ध्यान देने की वजह से बैक्टीरिया दूर रहें, उसमें सफर कर रहे दूसरे लोगों से भी बैक्टीरिया फैल सकते हैं। इसलिए जहां तक हो सके, नाक ढंक कर सफर करें।
अगर सार्वजनिक वाहन में सफर करते हैं, तो दफ्तर या घर पहुंच कर सबसे पहले साबुन से हाथ जरूर धोएं, क्योंकि उसके हैंडिलों में चिपके बैक्टीरिया आपके हाथों में चिपक कर आपके भोजन और फिर शरीर के भीतर प्रवेश कर सकते हैं।
अगर संक्रमण हो जाए
अगर तमाम सावधानियों के बावजूद संक्रमण हो जाता है, तो घरेलू नुस्खों पर अधिक भरोसा न करें, तुरंत डॉक्टर की सलाह लें और जांच करा कर उचित निदान की प्रक्रिया अपनाएं।