सरकार ने कैंसर, मधुमेह, विषाणु संक्रमण और उच रक्तचाप के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 56 महत्त्वपूर्ण दवाओं की कीमतों की सीमा तय की है। इससे औसतन कीमत में करीब 25 प्रतिशत की कमी आएगी। हालांकि औषधि कीमत नियामक राष्ट्रीय औषधि कीमत प्राधिकरण (एनपीपीए) ने ग्लूकोज और सोडियम क्लोराइड इंजेक्शन जैसे नसों में दिए जाने वाले फ्लूड के छोटी मात्रा के पैक की कीमतों में वृद्धि की है।

एनपीपीए की नई कीमत सीमा से जिन कंपनियों की दवाएं कीमत निर्धारण के दायरे में आई हैं, उसमें एबॉट हेल्थकेयर, सिप्ला, ल्यूपिन, एलेंम्बिक, एलकेम लैबोट्रीज, नोवार्तिस, बायोकॉन, इंटास फार्मास्युटिकल्स, हेतेरो हेल्थकेयर और पूर्व रैनबैक्सी (अब सन फर्मास्युटिकल्स इंडस्ट्रीज) शामिल हैं। प्राधिकरण के चेयरमैन भूपेंद्र सिंह ने कहा, औषधियों की कीमतों में औसतन 25 प्रतिशत की कटौती की गई है। कुछ मामलों में कटौती 10 से 15 प्रतिशत है जबकि अन्य मामलों में यह 45 से 50 प्रतिशत तक है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा आइवी फ्लूड के 31 अनुसूचित फार्मूलेशन की छोटी मात्रा पैक के मामले में कीमतें बढ़ाई गई हैं जबकि बड़ी मात्रा के पैक के लिए दाम घटाए गए हैं।

एनपीपीए ने अपनी अधिसूचना में कहा कि अगर विनिर्माता उच्च कीमत सीमा का अनुपालन नहीं करते हैं तो उन्हें अतिरिक्त राशि ब्याज के साथ जमा करनी पड़ेंगी। अधिसूचना के अनुसार, प्राधिकरण ने औषधि (कीमत नियंत्रण) संशोधन आदेश 2016 के तहत अनुसूची-1 के कुल 56 अनुसूचित फार्मूलेशन की कीमत और आठ फार्मूलेशन के खुदरा मूल्य निश्चित, संशोधित किए हैं। कंपनियों को इन दवाओं की कीमत में साल में 10 प्रतिशत तक की ही वृद्धि की अनुमति होगी।