Uric Acid Ayurvedic Remedies: शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने पर गठिया और किडनी स्टोन का खतरा ज्यादा होता है। आमतौर पर यूरिक एसिड की रीडिंग 3.5 से 7.2 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर होती है। इससे ज्यादा रीडिंग होने पर आपको हाई यूरिक एसिड की समस्या हो सकती है। यूरिक एसिड हमारे शरीर में मौजूद प्यूरीन नामक प्रोटीन के ब्रेकडाउन से बनता है। इस एसिड की अधिकता के कारण कई दूसरे अंग प्रभावित होते हैं। इससे मोटापा बढ़ सकता है, उठने-बैठने में परेशानी होने लगती है, जोड़ों में दर्द, उंगलियों में चुभन होना, शरीर में सूजन और किडनी की बीमारी हो सकती है। ऐसे में ये 4 आयुर्वेदिक उपाय बॉडी में यूरिक एसिड के लेवल को नियंत्रित रखते हैं।
अश्वगंधा: आयुर्वेद में अश्वगंधा को एक बेहद कारगर औषधि के रूप में देखा जाता है। कई बीमारियों को दूर करने में इसका सेवन मददगार होता है। यूरिक एसिड की मात्रा को घटाने में भी इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल फायदेमंद साबित होता है। दूध के साथ अश्वगंधा पाउडर का सेवन न केवल हाई यूरिक एसिड को कम करता है, बल्कि अर्थराइटिस के कारण होने वाली सूजन व जोड़ों के दर्द से भी राहत दिलाता है।
मुलेठी: इस आयुर्वेदिक औषधि के इस्तेमाल से कई स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। मुलेठी में पाया जाने वाला एक अहम तत्व ग्लाइसिराइजिन है। ये कंपाउंड सूजन को घटाने में मदद करता है जिससे कि गठिया के मरीजों को आराम मिलता है।
अदरक: अर्थराइटिस बीमारी लोगों को तब जकड़ लेती है, जब उनके शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाती है। इस बीमारी के इलाज में अदरक को रामबाण माना जाता है। अदरक में सूजन को कम करने के लिए एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण पाए जाते हैं। साथ ही जोड़ों के दर्द को कम करने में भी अदरक का सेवन कारगर माना गया है।
हल्दी: आयुर्वेद में हल्दी को उसके गुणों के कारण ही अव्वल दर्जे का माना जाता है। कई बीमारियों से लड़ने में हल्दी को बेहद कारगर कहा गया है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण मौजूद होते हैं जो हल्दी को यूरिक एसिड के मरीजों के लिए महत्वपूर्ण बनाते हैं। इसमें कर्क्यूमिन पाया जाता है जो सूजन और जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में मददगार होता है।

