मनुष्य के शरीर में सबसे महत्त्वपूर्ण अंगों में से एक लिवर है। शरीर को स्वस्थ बनायें रखने एवं उसके ठीक प्रकार से कार्य करने के लिए लिवर का स्वस्थ होना बेहद जरूरी है। आमतौर पर लोगों की धारणा होती है की शराब सेवन करने वालों में लिवर की समस्याएं बनती है और लिवर को स्वस्थ रखने के लिए शराब से परहेज ही एकमात्र उपाय है। लेकिन शराब के आलावा भी कुछ ऐसे कारण हैं, जो फैटी लीवर (Fatty Liver) की वजह बन सकते हैं। नॉन अल्कोहलिक फैटी फैटी लिवर डिसीज वो बीमारी है, जो शराब के सेवन मात्र से नहीं होती है। इस बीमारी के होने का कारण एक्स्ट्रा कैलोरी है। वर्तमान समय में यह बीमारी एक बड़ी आबादी को प्रभावित करती है।

न्यूट्रिशनिस्ट पूजा माखीजा ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर करते हुए बताया है कि नियमित व्यायाम, स्वस्थ वजन और शरीर में उचित पोषण बनाए रखने मात्र से इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है। आज हम आपको इस लेख में न्यूट्रिशनिस्ट द्वारा बताये गए कुछ ऐसे पोषक तत्व के बारे में बताएँगे जिनके सेवन से लिवर स्वस्थ बने रहेंगे। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को अपने आहार में इन पोषक तत्वों को जरूर शामिल करना चाहिए।

चकोतरा: यह एक ऐसा फल है जिसमें कई तरह के पोषक विटामिन पाए जाते हैं। नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज में अक्सर पुरानी सूजन के लक्षण दिखाई देते हैं। बाद में यही लक्षण लीवर फाइब्रोसिस का कारण बनते हैं। चकोतरा में नारिंगिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो सूजन से लड़ने में लिवर को मजबूत बनाते हैं।

एन-एसिटाइल सिस्टीन: यह एक तरह का एमीनो एसिड है, जो लीवर में ग्लूटाथियोन की वस्तुओं को भर देता है। विषेशज्ञों के मुताबिक ग्लूटाथियोन दवाओं और विषाक्त पदार्थों को बेअसर करने में मदद करता है। लेकिन बता दें की फैटी लिवर की बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को यह सप्लीमेंट अपने डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद ही लेना चाहिए।

मिल्क थिस्ल: यह एक प्रकार का सप्लीमेंट है, जिसे पौधों के बीज से तैयार किया जाता है। इसका इस्तेमाल लिवर को साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यानी लिवर के डिटॉक्सीफिकेशन में यह शरीर में टॉक्सिक लेवल को कम करता है और नुकसानदेह केमिकलों से लिवर को बचाता है। इसके साथ ही यह लिवर की खराब हो चुकी कोशिकाओं की मरम्मत करने के अलावा उनके पुनः निर्माण में मदद करता है। न्यूट्रिशनिस्ट के अनुसार, मिल्क थिस्ल विटामिन ई के साथ मिलाकर हर दिन 420 से लेकर 600 मिग्रा सिलामारिन का सेवन अच्छे परिणाम देता है। मिल्क थिस्ल में सीलामारिन एक फ्लेवेनॉइड, एंटीइंफ्लेमेट्री, एंटी स्कारिंग और इम्यून सिस्टम बूस्टिंग कंपाउड पाए जाते हैं।

डिटॉक्स ड्रिंक: न्यूट्रिशनिस्ट पूजा ने अपने पोस्ट में लिखा कि सभी पोषक तत्वों को अपने आहार में शामिल करना सही है। हां ये न केवल संभव है, बल्कि फायदेमंद भी है। एक नींबू अदरक से बने हरे डिटॉक्स ड्रिंक की सलाह देती हैं। नींबू में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जबकि अदरक में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेट्री अच्छी मात्रा में होते हैं। आप चाहें, तो डिटॉक्स ड्रिंक में खीरा भी मिला सकते हैं।