भोजन को पचाने से लेकर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने, प्रोटीन बनाने, शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने और ऊर्जा के भंडारण तक लिवर कई तरह के कार्य करता है। हालांकि शरीर के सबसे बड़े अंगों में से एक लिवर पर थोड़ी मात्रा में फैट पहले से मौजूद होता है, लेकिन जब यह अपने वजन से 10 गुना ज्यादा हो जाता है तो इस स्थिति को फैटी लिवर कहा जाता है। आज के समय में लोग खराब खान-पान और अनियमित जीवनशैली के कारण फैटी लिवर की चपेट में आ जाते हैं।

मेडिकल टर्म में फैटी लिवर को हैप्टिक स्टीटोसिस कहा जाता है। फैटी लिवर से कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है। फैटी लिवर का सबसे बड़ा कारण खराब खान-पान है, ऐसे में स्वास्थ्य विशेषज्ञ फैटी लिवर के मरीजों को अपने खान-पान का खास ख्याल रखने की सलाह देते हैं। आचार्य बालकृष्ण के अनुसार, आहार में बदलाव करके फैटी लिवर की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। आइए जानते हैं उनके सुझाए कुछ घरेलू उपाय-

सूखे आंवला का चूर्ण करता है फैटी लिवर का इलाज

आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक सूखे आंवले का चूर्ण 4 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार पानी के साथ लेने से 20-25 दिनों में लिवर के रोग ठीक हो जाते हैं। आंवला एंटी-ऑक्सीडेंट्स और विटामिन सी से भरपूर होता है, जो लिवर की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाता है। आंवला का सेवन करने से लिवर से हानिकारक टॉक्सिन्स निकल जाते हैं। इसके लिए रोजाना 3-4 कच्चे आंवले का सेवन करें। फैटी लिवर के इलाज के लिए सूखे आंवले का इस तरह इस्तेमाल करने से जल्दी आराम मिलता है।

फैटी लीवर के इलाज के दौरान खानपान और जीवनशैली में लाएं ये बदलाव

  • अपने आहार में ताजे फल और सब्जियां शामिल करें।
  • अधिक फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ खाएं, जैसे फलियां और साबुत अनाज।
  • बहुत अधिक नमक, ट्रांस वसा, परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट और सफेद चीनी का उपयोग बंद करें।
  • शराब या शराब का सेवन बिल्कुल भी ना करें।
  • खाने में लहसुन को शामिल करें, यह चर्बी को जमा होने से रोकता है।
  • ग्रीन टी का सेवन करें। शोध के अनुसार यह लिवर में जमा चर्बी को कम करता है और लिवर की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाता है।
  • तले और जंक फूड के सेवन से पूरी तरह परहेज करें।
  • पालक, ब्रोकली, करेला, लौकी, टिंडा, तोरी, गाजर, चुकंदर, प्याज, अदरक जैसी सब्जियों का अधिक से अधिक प्रयोग करें और अंकुरित अनाज का सेवन करें।
  • राजमा, सफेद चने, काली दाल का सेवन बहुत कम करना चाहिए और हरी मूंग दाल और मसूर दाल का सेवन करना चाहिए।
  • मक्खन, मेयोनीज, चिप्स, केक, पिज्जा, मिठाई, चीनी का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
  • नियमित रूप से प्राणायाम करें और सुबह टहलने जाएं।