Fatty Liver: लिवर शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग है। खाने-पीने की क्रिया से संबंधित कार्यों के अलावा लिवर ब्लड से कई प्रकार के हानिकारक पदार्थों को भी बाहर निकालता है। लेकिन जब लिवर की कार्यक्षमता बिगड़ती है या उसमें फैट अधिक बढ़ जाता तो इससे सेहत बिगड़ जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि सामान्य लिवर में कुछ फैट जरूर होता है, लेकिन जब इसकी कोशिकाओं में अनावश्यक फैट की मात्रा बढ जाती है तो इससे फैटी लिवर नामक गंभीर रोग हो जाता है।

किन बीमारियों का बढ़ जाता है खतरा: लिवर शरीर का ऐसा अंग है, जहां दिखाई न देने वाली चर्बी के कारण कई बीमारियों का खतरा हो सकता है। इससे हार्ट डिजीज, दिल का दौरा और स्ट्रोक का जोखिम दोगुना बढ़ जाता है। इसके अलावा, गंभीर मामलों में ये बीमारी लिवर सिरोसिस का रूप ले सकती है, बता दें कि इससे कैंसर भी हो सकता है।

फैटी लिवर के लक्षण: थकान, भूख न लगना, कमजोरी, लिवर का आकार बढ़ना, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना और पेट दर्द फैटी लीवर के सामान्य लक्षण हैं। वहीं, जब ये परेशानी बढ़ जाती है तो स्वास्थ्य समस्याएं भी अलग होती हैं। जैसे कि पैरों में सूजन, त्वचा और आंखों में पीलापन, भ्रम की स्थिति, चेतना का नुकसान हो सकता है।

डाइट में लाएं ये बदलाव: फैटी लिवर के मरीजों को दलिया, साबुत अनाज, छिलके वाली दालें और फलियों की सब्जी को अपने खाने में शामिल करना चाहिए। माना जाता है कि रोजाना सुबह खाली पेट ग्रीन टी पीने से लिवर पर इकट्ठा हुआ फैट कम होता चला जाता है। इसके अलावा, कॉफी, फिश ऑयल, ब्रोकली, दलिया, प्याज और हरी सब्जियां का सेवन फैटी लीवर के खतरे को कम करने में मदद करता है।

इनसे करें परहेज: शराब-सिगरेट से दूरी बनाएं, ज्यादा मीठा या नमकीन खाने से भी परहेज करें। अधिक नॉन-वेज खाने से बचें, सैचुरेटेड फैटी एसिड का सेवन कम करें।

जीवन शैली में लाएं ये चेंजेज: स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि वजन कम करें और ब्लड शुगर पर कंट्रोल करें। नियमित रूप से व्यायाम और मॉर्निंग वॉक फैटी लिवर के मरीजों के लिए लाभप्रद है। डॉक्टर्स के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से एक्सरसाइज करता है तो फैटी लिवर को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।