Fast Food Facts: विज्ञान और पर्यावरण केंद्र की ओर से जारी अध्ययन में पता चलता है कि जंक फूड सेहत के लिए बहुत घातक है। तमाम बढ़ रही गैर संक्रामक बीमारियों के पीछे यही है। 33 बड़े ब्रांड पर किया गया यह अध्ययन बताता है कि किस तरह से हम जाने अनजाने रोज ही तय मात्रा से अधिक नमक वसा व कार्बोहाइड्रेट का उपयोग कर रहे हैं। नियामक की कमी व निगरानी के अभाव में हालात खतरनाक बन चुके हैं। भारतीय नियामक लागू तक नहीं किए गए हैं जिससे 33 में से कोई भी ब्रांड खरा नहीं पाया गया। मसलन एक छोटे से नमकीन के पैकेट में ही हमें एक बार में पूरे दिन के वसा व नमक की जरूरत का बड़ा हिस्सा एक बार में परोस दिया जाता है। एक दो को छोड़ कर सभी में सभी ट्रांस फैट बहुत अधिक है।

क्या कहता है तय मानक: एक सामान्य व्यक्ति के शरीर को रोज औसतन 2000 कैलोरी ऊर्जा की जरूरत होती है। जिसमें पांच ग्राम नमक, 60ग्राम फैट व 300 ग्राम कार्बोहाइड्रेट व 2.2 ग्राम ट्रांस फैट ही ले सकता है। जिसे आरडीए भी कहते हैं। जो कि कोई व्यक्ति तीन बार के भोजन व दो बार के नाश्ते को मिला कर ही ले सकता है। यानी एक बार के भोजन में आरडीए का 25 फीसद व नाश्ते में 10 फीसद ही ले सकता है। यह विश्व स्वाथ्य संगठन की ओर से निर्धारित है।
जबकि जंक फूड का आलम तो यह है कि एक छोटा सा क्लासिक नट क्रेटर का पैकेट जो एक व्यक्ति एक बार में आराम से अकेले ही खा जाता है उसमें व्यक्ति को 100 ग्राम के पैकेट से 44.79 ग्राम वसा दिल्ली 15.68 ग्राम नमक मिल जाता है। जो कि नाश्ते से मिलने वाले नमक का दो गुना होता है। सभी नमकीन में जरूरत से अधिक नमक पाया गया।

नूडल्स : एक पैकेट में एक बार में पूरे दिन के नमक की जरूरत का 50 फीसद खत्म हो जाता है। यानी इसमें नमक की मात्रा सर्वाधिक है।
चिप्स : चिप्स के लगभग सभी तरक के ब्रांड में नमक वसा की मात्रा तय मात्रा का सर्वाधिक हिस्सा पूरा कर देती है। इसी तरह मल्टी ग्रेन चिप्स के 30 ग्राम के पैकेट में एक ग्राम नमक होता है।
पैकेट सूप : आरडीए का 28 फीसद से अधिक नमक पाया गया है।
नमकीन : नट नमकीन में आरडीए का 35 फीसद नमक एक बार में पूरा कर देता है। 26 फीसद वसा पाया जाता है।
बर्गर : सभी बर्गर में नमक व वसा की मात्रा अधिक पाई गई।
एक क्लासिक चिकन जिंजर चीज बर्गर में नमक कुल जरूरत का 62 फीसद व वसा 82 से अधिक पाया गया। और अगर आपने कांबो पैक ले लिया यानी बर्गर के साथ फ्रेंच फ्राई भी तो आपने 83 फीसद नकम व 120 फीसद वसा लेलिया। बर्गर में आरडीए का 70 फीसद नमक व 60 फीसद वसा ले लिया। चिकन विकल्प में 70 फीसद नमक व 46 फीसद वसा पाया गया।
पिज्जा : शाकाहारी रेग्यूलर साइज पिज्जा में आरडीए का 99.9 फीसद नमक व मासाहारी सुप्रीम साइज पिज्जा में 104 फीसद नमक रहा। इन दोनों में वसा आरडीए का क्रमश: 70 फीसद व 50 फीसद रहा।
सैंडविच : एक चिकन सीक कबाब में इसमें 105 फीसद नमक व 65 फीसद वसा व पनीर टिक्का में 70 फीसद नमक व 80 फीसद वसा पाया गया।

इन भोजन में पोषण की मात्रा का हाल: कोड रेड नाम से आई रिपोर्ट में पाया गया कि जो कि भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण ने जो नियामक इस साल जारी उसका भी पालन नही किया जा रहा। पोषक तत्वो का उल्लेख नहीं होता। प्राधिकरण ने तय किया था किया था 100 ग्राम के नाश्ते के पैकेट में सोडियम की मात्रा .25 ग्राम सोडियम ही होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है तो पैकेट पर लाल निशान लगा होना चाहिए। लेकिन व्यवहारिक तौर पर दोनों नहीं है।

क्या कहते है विशेषज्ञ: सुनीता नारायण ने बताया कि भारतीय बाजार में उपलब्ध अधिकतर पैकेट बंद खाना और फास्ट फूड में भारतीय खाद्य सुरक्षा व मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मानकों से बहुत ज्यादा है। एफएसएसएआई ने फास्ट फूड कंपनियों को इन उत्पादों में इस्तेमाल किए गए खाद्य पदार्थों की मात्रा पैकेट पर दर्शाने के लिए इस साल जुलाई में दिशानिर्देश तैयार किए थे,लेकिन सरकार ने इन्हें अब तक अधिसूचित कर लागू नहीं किया है। इतना ही नहीं सरकार ने 2013 दिशानिर्देश बनाने के लिए एफएसएसएआई के विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी। छह साल में तीन समितियां गठित हो चुकी हैं लेकिन अब तक कोई ठोस कानूनी पहल नहीं हुई। सीएसई की महानिदेशक नारायण ने कहा कि सरकार को चाहिए कि जनस्वास्थ्य पर कंपनियों का हित भारी नहीं पड़े। इसके लिए रेस्टोरेंट व पैक फूड के उत्पादों में नमक,शर्करा और वसा का निर्धारित मात्रा से अधिक इस्तेमाल होने पर तंबाकू उत्पादों की तरह चेतावनी (रेड वार्निंग) पैकेट पर दर्ज करने को अनिवार्य बनाया जाए। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि जंक फूड में न्यूट्रिशन की मात्रा न के बराबर होती है, इसलिए ये जंक फूड कहे जाते हैं। चीली में फास्ट फूड पर रेड मार्क हुआ है जिससे लोग समझने लगे है कि ये स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। इसका लोगों पर असर पड़ा है।

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