दुनिया भर में किडनी रोग से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। किडनी खराब होने की स्थिति में मरीजों को डायलिसिस का सहारा लेना पड़ता है। हालांकि, एक शोध से पता चला है कि क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) के मामले में कई मरीज समय पर डायलिसिस नहीं करा पाते हैं, जिससे उनकी सेहत पर असर पड़ सकता है। शायद ही कभी यह घातक हो सकता है।
किडनी डिजीज क्वालिटी ऑफ लाइफ स्टडी में 2787 लोगों को शामिल किया गया। ये सभी किडनी की पुरानी बीमारी से पीड़ित थे। अध्ययन में भाग लेने वाले 98 प्रतिशत लोगों ने कम से कम एक लक्षण का अनुभव किया। 24 प्रतिशत ने सीने में तकलीफ और 83 प्रतिशत ने थकान का अनुभव किया।
इनमें से 690 ने किडनी रिप्लेसमेंट थेरेपी (KRT) शुरू की, लेकिन उनमें से 490 प्रतिभागियों की केआरटी से पहले ही मौत हो गई। इन लोगों ने समय रहते किडनी की गंभीर समस्या पर ध्यान नहीं दिया। डॉक्टरों का कहना है कि जब किडनी की बीमारी के लक्षण गंभीर हो जाते हैं तो मरीज क्रॉनिक किडनी डिजीज का शिकार हो जाता है। ऐसे मामलों में डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है।
खराब लाइफस्टाइल है किडनी की बीमारी का मुख्य कारण
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक पहले 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को किडनी की पुरानी बीमारी होती थी, लेकिन आजकल कम उम्र के लोग भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। किडनी रोग के लक्षण शरीर में शुरुआत में तो दिखाई देते हैं, लेकिन लोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं। कई बार संक्रमण के कारण किडनी खराब हो जाता है और अगर समय पर इलाज न किया जाए तो मरीज को डायलिसिस सपोर्ट की जरूरत होती है। लेकिन कई बार डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट ही आखिरी विकल्प बचा होता है। ऐसे में लोगों के लिए किडनी की बीमारी के लक्षणों पर ध्यान देना और समय पर इलाज की तलाश करना बेहद जरूरी हो जाता है।
गुर्दे की बीमारी की पहचान करें
डॉक्टर्स के मुताबिक यूरिन के जरिए ही किडनी इंफेक्शन का आसानी से पता लगाया जा सकता है। नीचे कुछ सामान्य लक्षण दिए गए हैं-
- पेशाब करते समय जलन होना
- पेशाब करते समय पेट में दर्द होना
- पेशाब से दुर्गंध आना
- भूख न लगना या भूख न लगना
- सुबह उठने पर उल्टी होना
- पेशाब से खून आना
