Vertigo Causes and Symptomsखराब लाइफस्टाइल, स्ट्रेस का माहौल और कोरोना काल में सिर दर्द और चक्कर आने की परेशानी हर किसी को होती है। वर्तमान समय में वर्टिगो काफी कॉमन हो चुकी है, इसमें लोगों को जी मिचलाने और चक्कर आने की शिकायत होती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्टिगो से पीड़ित 86 प्रतिशत लोग इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते और इसे आम चक्कर की कैटिगरी में रख देते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स इसे बीमारी न कहकर लक्षण करार देते हैं। किसी बीमारी के कारण खासकर कान से रिलेटेड इंफेक्शन की वजह से ये परेशानी हो सकती है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर इस बीमारी की पहचान समय पर हो जाए तो ही जांच के जरिये इस बीमारी का इलाज संभव है। आइए जानते हैं वर्टिगो के बारे में विस्तार से –

वर्टिगो बीमारी के बारे में हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ये मोशन सिकनेस के जैसा ही है। इसमें लोगों को ऐसा महसूस होता है कि वो बेहोश होने वाले हैं। ये कई बार आनुवांशिक भी हो सकता है। माइग्रेन के मरीजों को ये परेशानी ज्यादा होती है, साथ ही, गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में भी महिलाओं को ये परेशानी हो सकती है।

वर्टिगो के दो प्रकार: इसमें पेरिफ्रल वर्टिगो सबसे आम है जिसमें कान के अंदरूनी हिस्से में परेशानी हो सकती है। वहीं, सेंट्रल वर्टिगो में ब्रेन इंजरी का खतरा हो सकता है। इन्हें माइग्रेन, ट्यूमर और स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है। इस तरह के दर्द में पहले वाले से ज्यादा दिक्कत होती है।

जानें लक्षण: सिर घूमने और चक्कर आने के अलावा भी इस बीमारी के कई लक्षण होते हैं। वर्टिगो से पीड़ित लोगों को जी मिचलाने, वोमिटिंग, आंखों की असामान्य हरकतें, सिरदर्द और लगातार पसीना आने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। हाथ और पैर शिथिल पड़ने और कानों में झनझनाहट भी वर्टिगो के लक्षण हैं।

क्यों होती है ये परेशानी: भीतरी कान में जमा डिपॉजिट्स के वजह से बेनाइन पोजिशनल पैरॉक्सिज्मल वर्टिगो (BPPV) का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा कोल्ड वायरस से कानों में सूजन आती है जिससे वर्टिगो होने का खतरा होता है। वहीं, गर्दन या सिर में चोट लगने पर भी कई लोग वर्टिगो के शिकार हो जाते हैं।

रखें इन बातों का ध्यान: वर्टिगो के प्रभाव को कम करने के लिए लोगों को अदरक की चाय का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा, भरपूर मात्रा में पानी पीना भी जरूरी है। माना जाता है कि बादाम खाने से भी ये परेशानी कम होती है।