दुनिया भर में मधुमेह की समस्या से करोड़ों लोग पीड़ित हैं। मधुमेह एक मेटाबॉलिक डिसआर्डर की बीमारी है। वर्तमान समय में टाइप 2 मधुमेह पूरे विश्व में के महामारी के स्तर पर पहुंच गया है। डायबिटीज रोग किसी व्यक्ति को तब होता है जब उसके शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध क्षमता कम हो जाती है। हालांकि कई शोध के मुताबिक सिर्फ इंसुलिन प्रतिरोध से ही डायबिटीज की बीमारी होती है यह सच नहीं हैं। डायबिटीज फैटी लिवर (Diabetes and Fatty Liver) की वजह से भी हो सकती है। आइए जानते हैं-

जिनेवा यूनिवर्सिटी में हुए अध्ययन में पाया गया है कि बढ़ा हुआ वजन यानि मोटापे के साथ फैटी लिवर भी इंसुलिन प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। फैटी लिवर के कारण हार्मोनल बदलाव होते हैं, फलस्वरूप यह बदलाव अधिक मात्रा में ग्लूकोज बनाने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। ग्लूकोज के अधिक उत्पादन से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। इस अध्ययन को बायोलॉजिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित किया गया है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक जिन लोगों का वजन ज्यादा है या मोटापे का शिकार हैं। उनमें इंसुलिन प्रतिरोध विकसित होने लगता है और इसके साथ ही लिवर में फैट जमा होने का खतरा बढ़ जाता है। फैटी लिवर होने के कारण माइटोकॉन्ड्रिया का कार्य प्रभावित होता है। जिसके कारण शरीर में ऊर्जा को स्टोर करने के साथ ही उनके वितरण का काम माइटोकॉन्ड्रिया द्वारा ही किया जाता है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक इन परिवर्तनों की वजह से ही माइटोकॉन्ड्रियल फंक्शन प्रभावित होता है। जिसके कारण मधुमेह होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा शोध में माइटोकॉन्ड्रिया, मोटापा और मधुमेह की बीच क्या संबंध है इस बात की खोज करने की कोशिश की गयी।

फैटी लिवर कैसे मधुमेह के लिए है जिम्मेदार

जब भी किसी व्यक्ति को फैटी लिवर से संबंधित परेशानी होती है तो शरीर के हार्मोन के व्यवहार में बदलाव होता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक शरीर में ग्लूकोज का स्तर अलग-अलग नेचर के हार्मोन से नियंत्रित होता है। जहां एक हार्मोन, ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाने का काम करता है तो दूसरा इसे रोकने का काम करता है। शरीर इन्हीं दोनों हार्मोन की मदद से शरीर में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करके ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करता है।

फैटी लिवर डिजिज के कारण क्या हैं?

  • मोटापा या अतिरिक्त वजन
  • शराब का बहुत अधिक सेवन
  • अनहेल्दी डाइट
  • अस्त-व्यस्त जीवनशैली
  • टाइप- 2 डायबिटीज
  • अनुवांशिक कारण
  • हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल्स

फैटी लिवर डिजिज के लक्षण क्या हैं?

  • तेजी से और अकारण वजन कम होना
  • बहुत अधिक थकान और कमजोरी
  • पैरों में सूजन
  • आंखों में पीले या लाल धब्बे दिखना
  • पेट के दाहिने हिस्से में दर्द
  • पेट में सूजन या बेली फैट
  • भूख न लगना(Loss of appaetite)
  • हमेशा उलझन में रहना
  • यूरीन का रंग बदलना

फैटी लिवर डिजिज के उपाय

फैटी लिवर की समस्या (Fatty Liver Problems) से बचने के लिए अपने रोज के डाइट में कुछ जरूरी बदलाव करने होंगे। इसके साथ ही जिन खाद्य पदार्थों में चिकनापन हो उनसे दूर रहें।

  • नियमित रूप से प्राणायाम करें तथा सुबह टहलने जायें।
  • ताजे फल एवं सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें।
  • भोजन में लहसुन को शामिल करें यह फैट जमा होने से रोकता है।
  • अधिक फाइबर युक्त आहार का सेवन करें, जैसे फलियाँ और साबुत अनाज।
  • ग्रीन टी का सेवन करें। शोध के अनुसार लीवर में जमा फैट को कम करती है।
  • पालक,ब्रोक्ली, करेला, लौकी, टिण्डा, तोरी, गाजर, चुकंदर, प्याज, अदरक तथा अंकुरित अनाज जैसी सब्जियों का प्रयोग ज्यादा करें।
  • राजमा, सफेद चना, काली दाल इन सब का सेवन बहुत कम करना चाहिए तथा हरी मूंग दाल और मसूर दाल का सेवन करना चाहिए।

इनसे फैटी लिवर के मरीज परहेज करें

  • शराब का सेवन बिल्कुल न करें।
  • तले-भुने एवं जंक फूड का सेवन सर्वथा त्याग दें।
  • अधिक नमक,ट्रांसफैट, रिफाइन्ड कार्बोहाइड्रेट्स तथा सफेद चीनी का प्रयोग बिल्कुल बंद कर दें।
  • मक्खन, मेयोनीज, चिप्स, केक, पिज्जा, मिठाई, चीनी इनका उपयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।