बढ़ता कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड सीधे तौर पर दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ाते हैं। ब्लड में LDL कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड दिल की बीमारी का प्रमुख कारण हैं। LDL यानी बैड कोलेस्ट्रॉल धमनियों की दीवारों पर जमकर प्लाक बनाता है जो ब्लड फ्लो को धीमा कर देता है। जब दिल को पर्याप्त खून नहीं मिलता, तो हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। ट्राइग्लिसराइड भी एक तरह का फैट होता है जो ऊर्जा के लिए शरीर में स्टोर होता है। लेकिन जब इसकी मात्रा जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है तो ये भी धमनियों में जमा होने लगता है और ब्लड फ्लो बाधित करता है। हाई ट्राइग्लिसराइड्स अक्सर अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट, मीठे, तली और फैटी फूड्स के अधिक सेवन से बढ़ता हैं।
डाइट में ज्यादा मीट, मक्खन, पनीर, तली हुई चीजें LDL और ट्राइग्लिसराइड बढ़ाती हैं। ब्लड में LDL और ट्राइग्लिसराइड को घटाने के लिए डाइट में होल ग्रेन, दाल, फल, हरी सब्जियां, ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन करना जरूरी है। कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में डाइट बेहद असरदार है।
डाइट में दही एक ऐसा सुपरफूड है जिसका सेवन अगर एक खास हर्ब के साथ किया जाए तो आसानी से LDL और ट्राइग्लिसराइड को कंट्रोल किया जा सकता है। आयुर्वेद में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड को कंट्रोल करने के लिए कई जादुई नुस्खे मौजूद हैं जो आसानी से नसों में जमा गंदगी को साफ कर सकते हैं। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट स्वामी ध्यान नीरव जी ने कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने का ऐसा ही एक असरदार नुस्खा बताया है जिसका सेवन करके आसानी से नसों में जमा LDL और ट्राइग्लिसराइड को कंट्रोल किया जा सकता है।
ये हर्ब आसानी से गंदे कोलेस्ट्रॉल को मल के साथ बाहर निकाल देता है। आयुर्वेद के मुताबिक दही के साथ अगर इसबगोल का सेवन किया जाए तो आसानी से दिल के रोगों से बचाव किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि ये हर्ब कैसे कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करता है और दिल के रोगों से बचाव करता है।
दही और इसबगोल कैसे करता है LDL और ट्राइग्लिसराइड की सफाई
आयुर्वेद के एक्सपर्ट बताते हैं कि दही में इसबगोल की भूसी मिलाकर खाने से नसों में जमा चिपचिपा LDL कोलेस्ट्रॉल आसानी से बाहर निकलने लगता है। अगर रोज 1 कटोरी दही में 2–3 चम्मच इसबगोल मिलाकर खाया जाए, तो यह आंतों में एक लेयर बना देता है। यह लेयर बैड कोलेस्ट्रॉल को अवशोषित होने से रोकती है और उसे मल के साथ बाहर निकाल देती है। दही के साथ इसबगोल का कॉम्बिनेशन कब्ज, भारीपन, गैस और अपच जैसी समस्याओं से निजात दिलाता है। इसबगोल का घुलनशील फाइबर आंतों में जेल जैसी परत बनाता है। यह परत बैड कोलेस्ट्रॉल को पकड़ लेती है और उसे ब्लड में घुलने नहीं देती। धीरे-धीरे मल के साथ जमा कोलेस्ट्रॉल शरीर से बाहर निकलता है।
दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स और इसबगोल का फाइबर मिलकर आंतों और धमनियों दोनों की सफाई करते हैं। इससे ब्लड फ्लो स्मूद रहता है और ब्लॉकेज का जोखिम कम होता है। दही पाचन अग्नि को संतुलित कर अवशोषण सुधारती है। दही पाचन अग्नि को स्थिर रखती है। जब अग्नि संतुलित रहती है, तो भोजन अच्छी तरह पचता है और अमा का निर्माण नहीं होता। इससे नया कोलेस्ट्रॉल बनने की प्रक्रिया कंट्रोल रहती है।
दही के प्रोबायोटिक्स और इसबगोल का घुलनशील फाइबर मिलकर आंतों में एक पतली, चिकनी परत बनाता हैं। यह परत LDL को अवशोषित होने से रोकती है। आयुर्वेद में इसे “मल बंधन नाशक प्रभाव कहा गया है, यानी मल के साथ अवांछित पदार्थों का निकलना। इसबगोल पेट को साफ रखता है, वहीं दही पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है। गैस, अपच और एसिडिटी जैसी दिक्कतें भी कम होती हैं। इन दोनों चीजों को एक साथ खाने से ब्लड फ्लो बेहतर रहता है, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी काफी हद तक घट जाता है।
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