यह समस्या अब किशोरों और बच्चों में भी देख जाने लगी है। दिन भर कंप्यूटर और मोबाइल फोन पर लगे रहने की वजह से उन्हें ध्यान ही नहीं रहता कि उनके बैठने का तरीका ठीक है या नहीं। मोबाइल पर काम करते हुए अक्सर गर्दन झुकी होती है।

इस तरह सिर का तीन से चार किलो वजन गर्दन की हड्डियों के बीच के जोड़ को प्रभावित करता है। हड्डियों के जोड़ में अंतर आ जाने की वजह से दर्द बना रहता है। इसे चिकित्सीय भाषा में स्पोंडिलाइटिस कहते हैं। स्पोंडिलाइटिस एक प्रकार का गठिया रोग ही है।

स्पोंडिलाइटिस की परेशानी व्यक्ति के रीढ़ की हड्डी से शुरू होती है और शरीर के अलग-अलग अंगों तक पहुंच जाती है। यह कूल्हों, कंधों, गर्दन के पिछले हिस्से से लेकर पीठ तक में दर्द का कारण बनती है।

कारण

स्पोंडिलाइटिस का कोई विशेष कारण नहीं है, पर कुछ जीन्स और स्वास्थ्य से जुड़ी स्थितियां इसका कारण बनती हैं। कुछ शोध बताते हैं कि इस समस्या से पीड़ित ज्यादातर मरीजों में एक खास तरह का जीन पाया जाता है, जिसे इसके एक बड़े कारण के रूप में देखा जाता रहा है। मगर ज्यादातर लोगों में इस समस्या की वजह जीवन-शैली से पैदा होती है। मसलन, सोते और बैठते समय शरीर की भंगिमा ठीक न होने से रीढ़ की हड्डी के जोड़ों में अंतर आ जाना, तनाव, जोड़ों और ऊतकों में सूजन, व्यायाम न करना, खराब खानपान, मोटापा, धूम्रपान करना आदि।

चिकित्सीय भाषा में लक्षणों के आधार पर स्पोंडिलाइटिस के अलग-अलग प्रकार हैं। इसका एक प्रकार वह है, जो आमतौर पर पैंतालीस साल की उम्र से पहले ही लोगों को शुरू हो जाता है। इसमें लोगों को बहुत तेज पीठ दर्द होता है और धीमे-धीमे बढ़ने लगता है। इसके मुख्य लक्षणों को देखें, तो इसमें लोगों के कमर में दर्द रहता है, अकड़न रहती है, सूजन आ जाती है, कूल्हों के जोड़ों में तेज दर्द की शिकायत रहती है।

समय के साथ, इस सूजन से एंकिलोसिस हो सकता है यानी रीढ़ में नई हड्डी का निर्माण हो सकता है। इस तरह शरीर के अन्य क्षेत्रों जैसे कंधे, कूल्हों, पसलियों, एड़ी और अन्य जोड़ों में सूजन, दर्द और कठोरता का कारण बन सकता है। आमतौर पर इसके लक्षण किशोरावस्था या प्रारंभिक वयस्कता (17 से 45 साल की उम्र) में दिखाई देने लगते हैं और उम्र बढ़ने के साथ यह परेशानी बढ़ सकती है।

बचाव

-हर दिन व्यायाम करने का समय बनाएं और उस समय में रोज व्यायाम करें।
-अगर वजन अधिक है, तो उसे घटाने का प्रयास करें, ताकि आपके जोड़ों में ज्यादा खिंचाव न हो।
-मालिश, योग और ध्यान जैसी चीजों के साथ तनाव से मुक्ति पाने का प्रयास करें।
-सूजन वाले क्षेत्रों पर सिंकाई करें।
-स्पोंडिलाइटिस का एक प्रकार ऐसा भी है, जो आमतौर पर छोटे बच्चों और किशोरों में होता है, खासकर सोलह साल के कम उम्र के बच्चों में। इसके -पीछे कई कारण हो सकते हैं। ऐसे बच्चों में तमाम तरह के लक्षण नजर आते हैं। जैसे कि
-बच्चे के किसी एक पैर में दर्द होता है और किसी एक पैर में दर्द नहीं होता है।
-जोड़ों और रीढ़ में सूजन और दर्द रहता है।

स्पोंडिलाइटिस का एक प्रकार वह भी है, जिसमें पेट से जुड़ी परेशानियां रहती हैं। इसमें आंतों में दर्द और सूजन रहता है। व्यक्ति को बार-बार डायरिया होता है और उसका वजन भी कम रहता है।स्पोंडिलाइटिस का एक प्रकार वह है जो आमतौर पर संक्रमण के बाद होता है। यह एक यौन संचारित संक्रमण के कारण हो सकता है, जैसे कि क्लैमाइडिया या साल्मोनेला आदि।

इसमें व्यक्ति जोड़ों का दर्द और सूजन के साथ आंखों में सूजन और मूत्राशय और जननांग में दर्द महसूस करता है। किसी भी प्रकार के स्पोंडिलाइटिस से बचने का उचित उपाय यही है कि जब भी कुर्सी पर बैठ कर काम करें, पौरों और रीढ़ की हड्डियों का नब्बे अंश का कोण बाते हुए बैठें। रीढ़ की हड्डी को सीधा करके बैठने का अभ्यास डालें। ज्यादा देर गर्दन लटका कर मोबाइल पर काम न करें। कंप्यूटर पर -काम करते हुए थोड़ी-थोड़ी देर में उठ कर घूम-फिर लिया करें। खानपान का ध्यान रखें। सोते समय भी शरीर की स्थिति का ध्यान रखें।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)