TB, TB in India, TB Free India, Budget 2020: आम बजट में निर्मला सीतारमण ने लक्ष्य रखा है कि 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाया जाएगा। विश्व भर के टीबी मरीजों में से 27 प्रतिशत लोग भारत के हैं। बस इतना ही नहीं, दुनिया में टीबी के सबसे अधिक मरीज भी भारत में ही हैं। खबर के अनुसार 2018 में लगभग 10 मिलियन लोग टीबी से पीड़ित थे। हालांकि, टीबी से मरने वालों की संख्या साल दर साल घट रही है, क्या टीबी को जड़ से मिटाना आसान है- आइए जानते हैं…

क्या है टीबी: टीबी जिसे हिंदी में क्षय रोग और मेडिकल भाषा में ट्यूबरक्लोसिस कहते हैं एक बैक्टीरिया जनित रोग है। बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस शरीर के सभी अंगों में प्रवेश कर जाता है। हालांकि, ज्यादातर लोगों को यह गलतफहमी होती है कि टीबी सिर्फ फेफड़े में ही हो सकती है। फेफड़ों के अलावा आंतों, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़ों, गुर्दे, त्वचा तथा हृदय जैसे अहम अंग भी टीबी की चपेट में आ सकते हैं। यह बीमारी लोगों को किसी भी उम्र में अपना शिकार बना सकती है। कई सरकारी अस्पतालों में टीबी जांच और दवाई मुफ्त में दिए जाते हैं। टीबी की जांच लोग छाती का एक्स रे, बलगम की जांच, स्किन टेस्ट आदि करवा कर पता कर सकते हैं।

टीबी के लक्षण: तीन सप्ताह या उससे अधिक समय तक खांसी रहने पर लोगों को टीबी जांच कराने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, खांसी के साथ बलगम/कफ आना या थूक में कभी-कभी खून आना भी इस बीमारी की ओर संकेत करता है। अगर आपको भूख कम लग रही हो या लगातार आपका वजन घट रहा है तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। टीबी से पीड़ित लोगों को लगातार शाम और रात में बुखार और सांस लेते हुए सीने में दर्द की शिकायत भी रहती है।

टीबी से बचाव: टीबी एक जानलेवा बीमारी है, इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप बैसिलस कैलमेट-गुएरिन (BCG) का टीका लगवाएं। यह टीका टीबी के रोकथाम में कारगर माना गया है। इसके अलावा टीबी मरीजों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो मास्क पहन कर रहें ताकि उनके छींकने या फिर खांसने से ये रोग दूसरों को न फैले। टीबी की दवाई के कोर्स को बीच में कभी न छोड़ें। गांव कनेक्शन की एक रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि सूर्य की रोशनी टीबी से लड़ने में कारगर है।

नेताओं के पहल से हो सकता है टीबी खत्म: इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, इंटरनैशनल यूनियन अगेंस्ट ट्यूबरक्यूलोसिस एंड लंग डिजीज के साइंटिफिक डायरेक्टर पॉला आइ फूजीवारा ने इस बीमारी में नेताओं की भागीदारी को पॉजिटिव बताया था। उनके अनुसार टीबी पर तब तक काबू नहीं पाया जा सकता, जब तक नेता अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझेंगे। उन्होंने कहा था भारत जैसे विविध देश में भी टीबी को जड़ से मिटाया जा सकता है अगर नेता इस बीमारी को गंभीर रूप से लें और प्रमुखता दें।