आजकल कामकाज की व्यस्तता के चलते तनाव, पीठ और गर्दन दर्द का समस्या बहुत ही आम हो चुकी है। आमतौर पर लोगों को 40 से 60 वर्ष की आयु के बीच पीठ दर्द की समस्या होने लगती है, लेकिन कंप्यूटर पर काम करने या लंबे समय तक बैठे रहने से भी हो सकता है। आमतौर पर एर्गोनॉमिक रूप से अनुपयुक्त स्थिति में पीठ के निचले हिस्से में दर्द और ग्रीवा दर्द जैसे रीढ़ की हड्डी के विकारों में वृद्धि होती है, जिसके लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। 

मेदांता, गुरुग्राम के ऑर्थोपेडिक्स के निदेशक डॉ. विनीश माथुर के अनुसार, एर्गोनॉमिक जोखिम की धारणा और लगभग सभी स्व-रिपोर्ट किए गए मानसिक विकार यानी गर्दन के दर्द के लिए पैनिक सिंड्रोम को छोड़कर गर्दन और पीठ के निचले हिस्से में दर्द और तनाव से जुड़े हैं। नियमित रूप से काम करने वाले लोगों द्वारा हर 12 महीने में 55.3% गर्दन और 64.5% पीठ के निचले हिस्से की समस्याओं की रिपोर्ट की जाती है। ऐसे में रीढ़ की हड्डी की समस्या से बचाव के लिए लाइफस्टाइल का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है।

डॉ. विनीश माथुर के अनुसार, पीठ दर्द के लिए गलत मुद्रा जिम्मेदार है। झुकना, आगे की ओर झुकना और कंधों को गोल करना रीढ़ पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है, जिसके चलते मस्कुलोस्केलेटल असंतुलन हो सकता है। पीठ के निचले हिस्से में दर्द (LBP) विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है और एक महत्वपूर्ण वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है।

गलत मुद्रा

खराब मुद्रा में बैठने से पीठ और गर्दन में दर्द हो सकता है। यह मांसपेशियों में खिंचाव, जोड़ों में तनाव और डिस्क की समस्या का कारण बन सकता है। खराब मुद्रा रीढ़ की हड्डी के प्राकृतिक वक्र को बदल सकती है, जिससे दर्द और अन्य समस्याएं हो सकती हैं। गलत मुद्रा में बैठने से रीढ़ के जोड़ों पर तनाव पड़ता है, जो दर्द और सूजन का कारण बन सकता है।

तनाव के कारण

तनाव भी रीढ़ की हड्डी की समस्याओं का एक कारण है। जल्दबाजी में काम पूरा करना, कभी न खत्म होने वाली मीटिंग और कॉर्पोरेट कॉम्पिटिशन शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ाती है। तनाव मांसपेशियों, खासकर पीठ और गर्दन में कसने और ऐंठन का कारण बनती है। आज के समय में काम करने वालों लोगों में गर्दन-पीठ दर्द की सबसे ज्यादा समस्या है। इसके साथ तनाव के कारण कई अन्य बीमारी होने का खतरा भी बढ़ जाता है। ये सभी मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम को और भी खराब करते हैं।

लाइफस्टाइल में बदलाव

शरीर को चलने के लिए बनाया गया है, लेकिन कॉर्पोरेट जीवन में लंबे समय तक कोई गतिविधि नहीं होती है। एक ही स्थान पर घंटों तक काम करने से ब्लड फ्लो कम हो सकता है, कूल्हे के फ्लैक्सर्स में खिंचाव, कोर की ताकत कम और रीढ़ की हड्डी के खराब होने की संभावना होती है। 

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