सर्दियों के मौसम में कब्ज की समस्या आम हो जाती है क्योंकि इस समय शरीर की गतिविधि कम हो जाती है और पानी का सेवन घट जाता है। अक्टूबर के महीने से ही ज्यादातर लोग कब्ज से जूझने लगते हैं। ठंड के कारण लोग पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ नहीं पीते, जिससे पाचन तंत्र सुस्त पड़ जाता है और आंतों की गतिशीलता धीमी हो जाती है। इसके अलावा सर्दियों में भारी और तले-भुने खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ जाता है, जो पेट में गैस और सूजन पैदा करता हैं।
कब्ज से बचने के लिए रोजाना गुनगुना पानी, फाइबर से भरपूर भोजन जैसे ओट्स, हरी सब्जियां, फल और दालें खाना जरूरी है। सुबह हल्की वॉक या योग आंतों की गति को बेहतर बनाते हैं। इसके साथ ही नींद पूरी करना और तनाव से दूर रहना भी जरूरी है, क्योंकि ये दोनों चीजें पाचन पर सीधा असर डालती हैं। सही डाइट और लाइफस्टाइल अपनाकर सर्दी में कब्ज की समस्या से आसानी से राहत पाई जा सकती है।
कब्ज से निजात पाने के लिए आयुर्वेदिक देसी नुस्खे भी असरदार साबित होते हैं। विश्वप्रसिद्ध योगी, दार्शनिक और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने बताया हेल्दी इंसान का शरीर सुबह उठने के कुछ ही मिनटों में खुद को स्वाभाविक रूप से साफ कर लेता है। अगर जागने के 20 मिनट के भीतर आपकी आंतें स्वतः खाली नहीं होतीं, तो यह शरीर में असंतुलन या किसी छिपी हुई समस्या का संकेत हो सकता है।
सद्गुरु के अनुसार जब शरीर का प्राकृतिक रिदम बिगड़ जाता है और रोजाना पेट साफ नहीं होता तो यह कब्ज (Constipation) का लक्षण है, जो आगे चलकर कई बीमारियों की जड़ बन सकता है। इसलिए हर व्यक्ति को अपने पाचन स्वास्थ्य (Digestive Health) का ध्यान रखना चाहिए और शरीर को उस स्थिति में लाना चाहिए जहां सुबह स्वत शौच क्रिया हो सके।
सदगुरु ने बताया कब्ज का इलाज
सतगुरु ने बताया अगर आपको कब्ज रहता है तो आप रात में सोने से पहले एक गिलास दूध में एक चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर पी लें। आयुर्वेद के मुताबिक अरंडी का तेल (Castor Oil) एक शक्तिशाली प्राकृतिक विरेचक (Natural Laxative) माना जाता है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालकर आंतों की सफाई करता है। आयुर्वेद में इसे स्नेह विरेचन औषधि कहा गया है, यानी ऐसा तेल जो आंतों को चिकना बनाकर मल त्याग को आसान करता है।
अरंडी के तेल में पाया जाने वाला रिसिनोलिक एसिड (Ricinoleic acid) आंतों की मांसपेशियों को उत्तेजित करता है, जिससे आंतों की सिकुड़न और फैलाव प्रक्रिया तेज हो जाती है। इससे पेट और आंतों में जमा हुआ मल आसानी से बाहर निकल जाता है और कब्ज में तुरंत राहत मिलती है। आयुर्वेद के अनुसार यह तेल वात दोष को संतुलित करता है क्योंकि कब्ज वात असंतुलन से जुड़ी समस्या है। गर्म दूध के साथ थोड़ी मात्रा में अरंडी का तेल लेने से पाचन सुधरता है, आंतें सक्रिय रहती हैं और शरीर प्राकृतिक रूप से डिटॉक्स होता है।
सद्गुरु के अनुसार अरंडी का तेल न केवल कब्ज को दूर करता है बल्कि पेट फूलने और गैस की समस्या से भी राहत देता है। यह शरीर की प्राकृतिक सफाई प्रक्रिया (Natural Detox) को सक्रिय करता है और पाचन तंत्र को संतुलित रखता है। सद्गुरु कहते हैं कि शरीर को अंदर से शुद्ध करने और आंतों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए समय-समय पर अरंडी का तेल सेवन करना फायदेमंद होता है। यह तेल मलाशय की सफाई करता है, आंतों में जमा अपशिष्ट को बाहर निकालता है और पूरे पाचन तंत्र को हल्का व सक्रिय बनाता है।
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