19 मई, 1960 की बात है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू गाजा जा रहा थे। उनके प्लेन को कुछ वक्त के लिए इजरायली एयरस्पेस से होकर गुजरना था। प्रधानमंत्री का प्लेन जैसे ही इजरायल के ऊपर से गुजरने लगा, उन्हें दो इजरायली फाइटर जेट्स ने हवा में ही घेर लिया। दोनों लड़ाकू व‍िमान प्रधानमंत्री के प्लेन के काफी नजदीक आ गए थे। वहां हुई इस घटना का जिक्र पीएम नेहरू ने नहीं क‍िया। कुछ महीने बाद भारत के संसद में उन्‍होंने इसका ब्‍योरा द‍िया था और कहा था क‍ि इजराइल की ओर से ऐसा क‍िया जाना अवांछ‍ित था।

क्यों गाजा जा रहे थे नेहरू?

1950 के दशक से 1960 के दशक के मध्य तक संयुक्त राष्ट्र (UN) ने अरब और इजरायल के बीच शांति समझौते के जितने प्रयास किए, उसमें भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की अगवानी में भारत इजरायल और फिलिस्तीन के बीच तनाव कम करने की कोशिश कर रहा था। संयुक्त राष्ट्र ने संघर्ष स्थलों पर यूनाइटेड नेशन इमरजेंसी फोर्स (UNEF) तैनात किया था, जिसमें भारतीय सैनिकों की भी एक टुकड़ी थी। UNEF के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रेम सिंह ज्ञानी थे।

राष्ट्रमंडल प्रधानमंत्रियों के सम्मेलन से लौटते समय नेहरू गाजा में तैनात भारतीय सैनिकों से मिलने पहुंचे थे। गाजा में उतरने के लिए संयुक्त राष्ट्र के विमान को थोड़ी देर के लिए इजरायली क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरना जरूरी था। यह गाजा में उड़ान भरने वाले संयुक्त राष्ट्र के विमानों के लिए आम बात थी और इजरायलियों को भी यह मालूम था। पंड‍ित नेहरू भी यूएन के व‍िमान में जा रहे थे। उनके उड़ान भरने की औपचार‍िक जानकारी इजरायल को नहीं दी गई थी, लेकिन नेहरू की यात्रा की जानकारी अरब देशों और इजरायल के विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी। यान‍ि, इजरायली अधिकारी इस बात से वाक‍िफ थे क‍ि नेहरू गाजा जाएंगे।

भारतीय विदेश मंत्रालय के अभिलेखीय दस्तावेजों से पता चलता है कि उड़ान के समय इजरायल वायु सेना के दो लड़ाकू विमानों ने भारतीय पीएम को ले जा रहे संयुक्त राष्ट्र के विमान को घेर ल‍िया था। जैसा कि संयुक्त राष्ट्र के एक पर्यवेक्षक ने कहा, इजरायली लड़ाके खतरनाक तरीके से प्रधानमंत्री के विमान के करीब से उड़े और फिर वापस चले गए। यह भी बताया गया है कि प्रधानमंत्री के उतरने के बाद उन्होंने गाजा हवाई क्षेत्र के पास दो बार उड़ान भरी थी।

रिकॉर्ड में कहा गया है कि चूंकि यह संयुक्त राष्ट्र का विमान था जो इस घटना में शामिल था और प्रधानमंत्री की यात्रा की व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों द्वारा की गई थी, इसलिए भारत सरकार ने माना कि इस मामले को देखना संयुक्त राष्ट्र का काम है।

घटना के अगले दिन संयुक्त राष्ट्र महासचिव डैग हैमरस्कजॉल्ड ने जवाहरलाल नेहरू को पत्र लिखकर समझाया कि विमान को गाजा हवाई पट्टी पर उतरने के लिए इजरायली क्षेत्र में उड़ान भरना तकनीकी रूप से आवश्यक था। इस स्थिति के बारे में इजरायली अधिकारियों को अच्छी तरह से पता था। हैमर्स्कजॉल्ड ने इस घटना पर गहरा खेद व्यक्त करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र कर्मियों का इसमें कोई दोष नहीं है।

लेफ्टिनेंट जनरल ज्ञानी ने इस घटना के लिए इजरायलियों को दोषी ठहराते हुए एक रिपोर्ट भी लिखी। रिपोर्ट का खंडन करते हुए इजरायली प्रधानमंत्री बेन गुरियन ने लेफ्टिनेंट जनरल ज्ञानी पर तीखी टिप्पणी की। इजरायलियों ने दावा किया कि उनकी सेना के रडार स्क्रीन पर चार मिग विमान संयुक्त राष्ट्र के विमानों के साथ उड़ान भरते देखे गए थे और इस वजह से इजरायली विमानों को उन विमान (मिग विमानों) को रोकने का काम सौंपा गया था।

इजरायली पीएम ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को यह भी बताया कि इजरायली वायु सेना को संयुक्त राष्ट्र के विमान में सवार लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इजरायली प्रधानमंत्री की बात को खारिज किया।

इजरायल प्रधानमंत्री की बात लेफ्टिनेंट जनरल ज्ञानी की रिपोर्ट से झूठी मालूम पड़ती है। लेफ्टिनेंट जनरल की अनुसार प्रधानमंत्री को गाजा ले जाने वाले UNIF विमान के लिए कोई UAR (पहले मिस्र को United Arab Republic कहा जाता था।) वायु सेना एस्कॉर्ट नहीं था।  इजरायली रडार पर देखे गए चार मिग अलग से अल अरिश हवाई अड्डे पर जा रहे थे।

नेहरू ने संसद में क्या कहा?

प्रधानमंत्री ने भारत लौटकर उस घटना का जिक्र संसद में किया। एक अगस्त को संसद के मानसून सत्र की शुरुआत में ही नेहरू ने बताया कि कैसे इजरायली लड़ाकू विमानों ने उनके संयुक्त राष्ट्र के विमान को हवा में घेर लिया था। उन्होंने सदन को बताया कि कैसे इजरायल की वह कार्रवाई उचित नहीं थी। उन्होंने बताया कि इजरायली अधिकारियों को गाजा की उनकी प्रस्तावित यात्रा के बारे में पहले से जानकारी थी, इसलिए यह एक आकस्मिक घटना नहीं हो सकती थी।