भारत का राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ है और इसे लिखा है गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने। बहुत कम लोग जानते हैं कि टैगोर ने राष्ट्रगान मूलतः बंगाली में लिखा था। बाद में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कैप्टन आबिद अली की सहायता से इसका हिंदी में अनुवाद कराया था।

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कब-कब गया जाता है राष्ट्रगान: जब राष्ट्रपति, राज्यपाल और उपराज्यपाल को विशेष अवसर पर सलामी दी जाती है, तब राष्ट्रगान गया जाता है। वहीं परेड के दौरान, औपचारिक रूप से राज्य के कार्यक्रमों से शुरू होने के पहले, राज्यपाल/उपराज्यपाल के राजकीय कार्यक्रमों में आने-जाने पर, राष्ट्रीय ध्वज को परेड में लाने पर, रेजिमेंट के रंग प्रस्तुत किये जाने पर, सरकारी कार्यक्रमों में राष्ट्रपति के आने-जाने पर और ऑल इंडिया रेडियो पर राष्ट्रपति के संबोधन की शुरुआत और आखिर में राष्ट्रगान गया जाता है।

क्या राष्ट्रगान के लिए खड़े होना जरूरी है?: प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971 के सेक्शन 3 के अनुसार जो लोग जान बूझकर राष्ट्रगान के बजने के दौरान बाधा पहुंचाते हैं, उन्हें तीन साल तक की जेल हो सकती है। हालांकि संविधान में कहीं भी ये नहीं लिखा है कि राष्ट्रगान के वक्त खड़े होना जरूरी है। हाँ ये जरूर है कि राष्ट्रगान का सम्मान नहीं करने पर 3 साल तक की जेल हो सकती है।

कब हुआ विवाद?: वर्ष 1986 में केरल में तीन छात्रों ने राष्ट्रगान गाने से इनकार कर दिया लेकिन ये तीनों छात्र राष्ट्रगान के वक्त खड़े थे। स्कूल में विधायक भी मौजूद थे और उन्होंने विधानसभा में मुद्दे को उठाया और इसकी जांच के लिए आयोग का गठन किया गया। आयोग ने बच्चों को दोषी नहीं ठहराया लेकिन फिर भी बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने भी बच्चों के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रगान गाने के लिए किसी व्यक्ति को मजबूर या प्रताड़ित नहीं किया जा सकता और तीनों छात्र राष्ट्रगान के वक़्त खड़े थे। बाद में बच्चों को दोबारा स्कूल में प्रवेश मिला।

केंद्र सरकार ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि सिनेमाघरों में फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजाना और उस दौरान खड़ा होना जरूरी न किया जाए।