रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने ‘प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना’ (PMBJP) नामक उर्वरक सब्सिडी योजना के तहत ‘एक राष्ट्र एक उर्वरक लागू’ लागू करने का निर्णय लिया है।
क्या है One Nation One Fertilizer?
One Nation One Fertilizer के तहत अक्टूबर माह से सब्सिडी रेट पर मिलने वाले यूरिया और DAP के बैग पर केवल एक तिहाई हिस्से में अपना नाम, ब्रांड, लोगो और उत्पाद से जुड़ी अन्य जानकारी छापने अनुमति होगी। शेष दो-तिहाई स्थान पर ब्रांड के रूप में “भारत” और प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना का लोगो दिखाना होगा। इसका मतलब हुआ सब्सिडी वाले सभी उर्वरकों को ‘भारत’ ब्रांड के तहत ही बेचा जाएगा। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने यह जानकारी शनिवार को दी।
सरकार तय करती है उर्वरकों की कीमत
यूरिया का अधिकतम खुदरा मूल्य वर्तमान में सरकार द्वारा तय किया जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो कुछ 26 उर्वरक (यूरिया सहित) हैं, जिन पर सरकार सब्सिडी वहन करती है और प्रभावी रूप से एमआरपी भी तय करती है।
सब्सिडी देने और तय करने के अलावा, सरकार यह भी तय करती है कि कंपनियां उर्वरक को किस कीमत पर और कहां बेच सकती हैं। यह उर्वरक (आंदोलन) नियंत्रण आदेश, 1973 के माध्यम से किया जाता है। इसके तहत उर्वरक विभाग निर्माताओं और आयातकों के परामर्श से सभी सब्सिडी वाले उर्वरकों पर एक सहमत मासिक आपूर्ति योजना तैयार करता है। यह आपूर्ति योजना आगामी माह के लिए प्रत्येक माह की 25 तारीख से पहले जारी की जाती है, साथ ही विभाग दूरस्थ क्षेत्रों सहित आवश्यकता के अनुसार उर्वरक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से आवाजाही की निगरानी भी करता है।
जब सरकार उर्वरक सब्सिडी (2022-23 में 200,000 करोड़ रुपये को पार करने की संभावना है) पर भारी मात्रा में पैसा खर्च कर रही है, साथ ही यह तय कर रही है कि कंपनियां कहां और किस कीमत पर बेच सकती हैं, तो जाहिर है वह जनता के सामने इसका क्रेडिट लेना चाहेंगी और एक संदेश देना चाहेंगी।
किसानों को क्या होगा फायदा?
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया है कि वन नेशन, वन फर्टिलाइजर से किसानों को तेजी से खाद की डिलीवरी संभव हो सकेगी और साथ ही सब्सिडी पर होने वाले खर्च में भी बचत होगी। सरकार यूरिया के खुदरा मूल्य के 80 प्रतिशत की सब्सिडी देती है। इसी तरह डीएपी की कीमत का 65 प्रतिशत, एनपीके की कीमत का 55 प्रतिशत और पोटाश की कीमत का 31 प्रतिशत सरकार सब्सिडी के तौर पर देती है। इसके अलावा उर्वरकों की ढुलाई पर भी सालाना 6,000-9,000 करोड़ रुपये लग जाते हैं।
One Nation One Fertilizer को लेकर मांडविया बताते हैं, ”चुनिंदा कंपनियां अलग-अलग ब्रांड के नाम से खाद बनाती हैं। किसान कई बार केवल उसी ब्रांड के नाम की यूरिया खरीदता है, भले ही उसके लिए दूसरे ब्रांड की खाद मौजूद हो। किसान को ये पता ही नहीं चल पाता कि उस ब्रांड के अलावा भी कोई दूसरी यूरिया होती है। जबकि यूरिया जैसे उत्पादों का कंपोजीशन एक होता है। ऐसे में किसी भी ब्रांड की खाद में दूसरे ब्रांड से कोई अंतर नहीं मिलता है।”
मांडविया आगे बताते हैं, ”फिलहाल कंपनियां अलग-अलग नाम से ये उर्वरक बेचती हैं लेकिन इन्हें एक से दूसरे राज्य में भेजने पर न सिर्फ ढुलाई लागत बढ़ती है बल्कि किसानों को समय पर उपलब्ध कराने में भी समस्या आती है। इसी परेशानी को दूर करने के लिए अब एक ब्रांड के तहत सब्सिडी वाली उर्वरक बनाई जाएगी।”