अगस्त 2022 में विप्रो (Wipro) और स्विगी (Swiggy) की वजह से ‘मूनलाइट’ शब्द चर्चा में रहा। विप्रो के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी ने इंडस्‍ट्री के कर्मचारियों पर मूनलाइटिंग धोखाधड़ी (Moonlighting Cheating) का आरोप लगाया है। वहीं स्विगी अपने कर्मचारियों के लिए मूनलाइट पॉलिसी लेकर आई है। आइए समझते हैं नौकरी की दुनिया में मूनलाइट का मतलब क्या होता है?

नौकरी की दुनिया में मूनलाइट

नौकरी की दुनिया में Moonlight का अर्थ बिल्कुल ही अलहदा है। अधिकांश कंपनियों की यह नीति होती है कि उनके यहां काम करते हुए कर्मचारी कहीं और काम नहीं कर सकता। कंपनियों द्वारा यह उपाय काम की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए अपनाया जाता है। लेकिन मूनलाइट पॉलिसी एक साथ कई नौकरी करने की छूट देता है।

भारत में इस पॉलिसी को इंट्रोड्यूस करते हुए फूड एग्रीगेटर कंपनी स्विगी ने कहा था, अब कंपनी में काम कर रहे कर्मचारी अपनी फाइनेंसियल जरूरतों को पूरा करने के लिए खाली टाइम में किसी दूसरे प्रोजेक्ट पर भी काम कर सकते हैं। इसकी उन्हें छूट होगी।

दूसरी तरफ विप्रो के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी मूनलाइटिंग धोखाधड़ी बताते हुए ट्वीट किया था कि ”टेक इंडस्ट्री में बड़ी संख्या में ऐसे ‘धोखेबाज’ लोग हैं, जो मूनलाइटिंग चीटिंग करते हैं। जो भी इसका हिस्सा हैं, वे यह बात जान ले कि ऐसा काम स्‍पष्‍ट और साधारण रूप में धोखाधड़ी ही कहा जाएगा।”

टाटा के लिए मूनलाइट नैतिक मुद्दा

हाल में बिजनेस टुडे के India@100 समिट में शामिल हुए टेक कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के सीओओ एन गणपति सुब्रमण्यम (N Ganapathy Subramaniam) ने  Moonlight Policy को नैतिक मुद्दा बताते हुए कहा, ”हम इसे एक नैतिक मुद्दे के रूप में देखते हैं, जहां अल्पकालिक लाभ के आकर्षण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन लंबी अवधि में व्यक्ति हार जाएगा। आखिरकार, यह मूल्य प्रणाली का एक हिस्सा है, जिसे लागू करने पर विचार किया जा सकता है”

क्या भारत में लागू हो सकती मूनलाइट पॉलिसी?

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक,  Ipsos India की Marcom & Content Lead मधुरिमा भाटिया का मानना है कि भारत में मूनलाइट पॉलिसी लागू करना मुश्किल है। वह कहती हैं, ”कन्वेंशनल कंपनियों के लिए मूनलाइट जैसी पॉलिसी को लागू कर पाना आसान नहीं है। स्विगी जैसी कंपनियां ऐसी पॉलिसी आसानी से लागू कर सकती हैं क्योंकि उनका कुछ स्टाफ कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर होता है। मूनलाइट पॉलिसी ऐसे कर्मचारियों के लिए एक अच्छा अवसर साबित हो सकती है।”