हाल में कुत्तों के बढ़ते हमले से हड़कंप मचा हुआ है। गाजियाबाद और नोएडा में आए दिन कुत्तों के काटने की घटना सामने आ रही है। पार्क में बच्चे पर हमला, लिफ्ट में जोमैटो डिलीवरी बॉय पर हमला, कुछ माह पहले तो लखनऊ में एक पालतू कुत्ते ने अपनी मालकिन की जान ही ले ली थी। कुत्तों के अलावा लोग बिल्ली, घोड़ा, बंदर आदि भी पालते हैं। ऐसे में यह जान लेना जरूरी हो जाता है कि जानवरों को पालने का नियम क्या है?
देश के अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग शहरों में जानवरों को पालने का अलग-अलग नियम है। हालांकि कुछ नियम हर जगह एक समान हैं। जैसे- प्रत्येक पालतू जानवर का रजिस्ट्रेशन कराना होता है, इसके लिए नगर निगम द्वारा तय राशि चुकानी होती है, रजिस्ट्रेशन एक तय समय के लिए वैध होता इसलिए समय-समय पर उसका रिन्यूअल भी जरूरी होता है। नगरपालिका पालतू जानवर का रजिस्ट्रेशन तभी करता है, जब उसे रेबीज का वैक्सीन लगा हो।
कुत्ते को सोसायटी में रखने को लेकर क्या है नियम?
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया का कहना है कि अगर पशु को नगरपालिका द्वारा तय के अनुसार पाला गया है तो उसे सोसायटी में रखा जा सकता है। हालांकि हाउसिंग सोसायटी के निवासी होने के नाते पालतू जानवर के मालिक को इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि उनका जानवर किसी और के लिए परेशानी न बने।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 ए (जी) के अनुसार, प्रत्येक नागरिक का यह दायित्व है कि वह जीवित प्राणियों और जानवरों के प्रति दया का व्यवहार करें। Prevention of Cruelty to Animals Act 1960 की धारा 11 (3) में कहा गया है कि हाउसिंग सोसायटी में पालतू जानवरों को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव पारित करना अवैध है।
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड द्वारा तय कुछ सामान्य नियम:
कोई भी हाउसिंग सोसायटी निवासियों को पालतू जानवर रखने पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता है।
पालतू जानवरों के लिए बिल्डिंग की लिफ्ट का इस्तेमाल करने से रोका नहीं जा सकता है। अदालत के एक फैसले के अनुसार कुत्ते/पालतू जानवर परिवार हैं और इसलिए उनके लिए भी लिफ्ट का उपयोग किया जा सकता है।
हाउसिंग सोसायटी के जो भी सदस्य अपने पालतू जानवरों के लिए लिफ्ट का उपयोग करते हैं उनसे अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा।
पालतू जानवरों को सोसायटी के पार्क और गार्डन में जाने पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।
कुत्ता ने काटा तो मालिक को होगी जेल
अगर पालतू कुत्ता किसी को काट लेता है तो भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 289 के तहत कुत्ते के मालिक को अधिकतम 6 महीने जेल की सजा, 1000 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं। बिल्ली, बंदर, घोड़ा की तरह ही कुत्तों के काटने से भी रेबीज का संक्रमण फैलता है। रेबीज का वायरस स्लो किलर होता है। अगर समय पर और उचित उपचार न मिले तो इससे जान भी जा सकती है।