कोरोना महामारी के दौरान रेल मंत्रालय ने ट्रेन टिकट पर वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली रियायत पर रोक लगा दी थी। 19 मार्च, 2020 को रेल मंत्रालय ने एक परिपत्र जारी कर रियायतों पर रोक लगाई थी। हाल में एक आरटीआई के जवाब में मिले डेटा के विश्लेषण से पता चला है कि रेलवे ने मार्च 2020 से सितंबर 2022 के बीच वरिष्ठ नागरिकों की रियायत पर रोक लगाकर ₹2560.9 करोड़ की बचत की है।

बता दें कि तब यह फैसला गैर-जरूरी यात्राओं पर रोक लगाने के लिए लिया गया था। अब महामारी से संबंधित अधिकांश प्रतिबंधों में ढील दी गई है लेकिन वरिष्ठ नागरिकों के रियायतों को बहाल नहीं किया गया है।

मार्च 2020 से पहले 58 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं को ट्रेन टिकट पर 50 फीसदी की छूट मिलती थी। वहीं 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के पुरुषों को ट्रेन यात्रा पर 40 फीसदी की छूट दी जाती थी। ये रियायतें गरीब रथ, गतिमान एक्सप्रेस, सुविधा और हमसफर जैसे कुछ ट्रेनों को छोड़कर सभी ट्रेन की किसी श्रेणी की टिकट खरीदने पर मिलती थी।

RTI से हुआ खुलासा

मध्य प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्र शेखर गौड़ द्वारा दायर की गई एक आरटीआई के जवाब में रेलवे ने बताया है कि मार्च 2020 से सितंबर 2022 के बीच रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों को टिकट बेचकर 5808.85 करोड़ रुपये कमाया है।

वित्त वर्ष 2022-23 में (सितंबर तक) रेलने ने वरिष्ठ नागरिकों के टिकट से ₹2335.21 करोड़ की कमाई की है। वित्त वर्ष 2020-21 में रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों को टिकट बेचकर जो पैसा कमाया यह रकम उससे महज 675.57 रुपये कम है।

बढ़ रही है ट्रेन से यात्रा करने वाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या

ट्रेन से यात्रा करने वाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या 2021 से बढ़ रही है और संभवत: वित्त वर्ष-23 के अंत तक यह पूर्व-महामारी के स्तर को पार कर सकती है। वित्त वर्ष-20 में 7.3 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों ने भारतीय रेलवे से यात्रा की थी। वित्त वर्ष-21 में यह आंकड़ा घटकर 1.9 करोड़ हो गया था। लेकिन वित्त वर्ष-22 में ट्रेन से यात्रा करने वाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या 5.5 करोड़ हो गई है।

कोरोना महामारी के बाद अब जैसे-जैसे प्रतिबंधों में ढील दी जा रही है, ट्रेन से यात्रा करने वाले वरिष्ठ नागरिकों की संख्या बढ़ रही है। साथ ही रियायतों को बहाल करने की मांग भी तेज हो रही है।