गणतंत्र दिवस (26 जनवरी, 2024) समारोह में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन मुख्य अतिथि होंगे। इस बात की पुष्टि फ्रांसीसी राष्ट्रपति भवन ने शुक्रवार (22 दिसंबर) को की।

भारत के विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान में पुष्टि करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन 75वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में भारत आएंगे।”

इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि भारत के गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि को कैसे चुना जाता है, मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाना सम्मान की बात क्यों है और निमंत्रण का महत्व क्या है?

भारत के गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि होना सम्मान की बात क्यों है?

गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाना प्रोटोकॉल के संदर्भ में किसी देश द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। मुख्य अतिथि कई औपचारिक गतिविधियों में सबसे आगे और केंद्र में होता है। राष्ट्रपति भवन में औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है, जिसके बाद शाम को भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक स्वागत समारोह आयोजित किया जाता है।

मुख्य अतिथि के लिए प्रधानमंत्री द्वारा दोपहर के भोजन का आयोजन किया जाता है, जहां उनसे उपराष्ट्रपति और विदेश मंत्री मुलाकात भी मिलते हैं। पूर्व भारतीय विदेश सेवा अधिकारी और राजदूत मनबीर सिंह ने 1999 और 2002 के बीच प्रोटोकॉल के प्रमुख के तौर पर काम किया है। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि मुख्य अतिथि की यात्रा प्रतीकात्मकता से भरी होती है।

तो गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि कैसे चुना जाता है?

यह प्रक्रिया आयोजन से लगभग छह महीने पहले शुरू हो जाती है। राजदूत मनबीर सिंह ने कहा था कि निमंत्रण देने से पहले विदेश मंत्रालय सभी प्रकार के विचारों को ध्यान में रखता है।

सबसे ज्यादा विचार इस बात पर किया जाता है कि भारत और संबंधित देश के बीच रिश्ता कैसा है। गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि बनने का निमंत्रण भारत और आमंत्रित व्यक्ति के देश के बीच मित्रता का संकेत है।

निर्णय लेते हुए भारत के राजनीतिक, वाणिज्यिक, सैन्य और आर्थिक हितों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। विदेश मंत्रालय इस अवसर का उपयोग इन सभी मामलों में आमंत्रित देश के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए करना चाहता है।

एक अन्य कारक गुटनिरपेक्ष आंदोलन रहा है। ऐतिहासिक रूप से जो देश इस आंदोलन से जुड़े रहे हैं, उन्हें भारत प्रमुखता देता रहा है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन 1950 के दशक के अंत और 1960 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ था।

यह शीत युद्ध के झगड़ों से बाहर रहने और राष्ट्र निर्माण की यात्रा में एक-दूसरे का समर्थन करने के लिए नव उपनिवेशित देशों का एक अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक आंदोलन था। 1950 में परेड के पहले मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो थे, जो गुटनिरपेक्ष आंदोलन के पांच संस्थापक सदस्यों में से एक थे।

विदेश मंत्रालय द्वारा अपने विकल्पों पर निर्णय लेने के बाद क्या होता है?

उचित विचार-विमर्श के बाद विदेश मंत्रालय इस मामले पर पीएम और राष्ट्रपति की मंजूरी चाहता है। मंजूरी मिलने के बाद संबंधित देश में भारतीय राजदूत संभावित मुख्य अतिथि की उपलब्धता के बारे में पता लगाने की कोशिश करते हैं। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्राध्यक्षों का व्यस्त कार्यक्रम होना असामान्य बात नहीं है। यह भी एक कारण है कि विदेश मंत्रालय सिर्फ एक विकल्प नहीं बल्कि संभावित उम्मीदवारों की एक सूची बनाता है।

एक उम्मीदवार को चुन लिए जाने के बाद, भारत और आमंत्रित व्यक्ति के देश के बीच आधिकारिक बातचीत शुरू होती है। विदेश मंत्रालय का टेरिटोरियल डिवीजन वार्ता और समझौतों की दिशा में काम करते हैं। प्रोटोकॉल प्रमुख कार्यक्रम और लॉजिस्टिक्स के डिटेल्स पर काम करता है। यात्रा और गणतंत्र दिवस समारोह के लिए एक विस्तृत कार्यक्रम प्रोटोकॉल प्रमुख द्वारा मेहमान देश के अपने समकक्ष के साथ साझा किया जाता है।

यात्रा की योजना में भारत सरकार, राज्य सरकारें (जहां विदेशी गणमान्य व्यक्ति यात्रा कर सकते हैं) और संबंधित देश की सरकार शामिल होती है।

क्या यात्रा के दौरान चीज़ें गलत हो सकती हैं?

इस बात की आशंका हमेशा बनी रहती है कि चीज़ें योजना के अनुसार होंगी या नहीं। ऐसी स्थिति के लिए आयोजकों को पहले से तैयारी करनी होती। बेमौसम बारिश बहुत कुछ बिगाड़ सकती है। आयोजक सभी प्रकार की स्थितियों के लिए इमरजेंसी की तैयारी करते हैं और उनका पूर्वाभ्यास करते हैं ताकि कार्यक्रम वाले दिन सब चीजें सुचारू रूप से चल सकें।

जब चीफ गेस्ट के अधिकारी ने कर दी गड़बड़

द इंडियन एक्सप्रेस के लिए लिखते हुए राजदूत सिंह ने एक घटना का जिक्र किया था, जिसमें उन्हें बताया था कि कैसे एक बार गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के सहयोगी/एडीसी (उच्च पद के व्यक्ति का निजी सहायक या सचिव) ने गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण के लिए मुख्य अतिथि के साथ जाने का प्रयास किया था।

वह लिखते हैं, “हमारी प्रैक्टिस के मुताबिक केवल ट्राई-सर्विसेज गार्ड के कमांडर ही आगंतुक के साथ जाते हैं। लेकिन अगर मुख्य अतिथि का सहयोगी जिद करने लगे तो उसे मौजूद अधिकारियों द्वारा जबरदस्ती रोकना पड़ता है।”

मीडिया कवरेज पर खास ध्यान

राजदूत सिंह ने बताया कि भारत इस बात को लेकर सचेत है कि अतिथि के साथ आने वाला मीडिया दल यात्रा के हर पहलू पर अपने देश में रिपोर्टिंग करे। अच्छे संबंधों को बढ़ावा देने और आगे बढ़ाने के लिए, यह आवश्यक है कि अतिथि का देश इस यात्रा को सफल माने और उनके राज्य प्रमुख को सभी शिष्टाचार दिखाए जाएं और उचित सम्मान दिया जाए।

राजदूत सिंह ने बताया कि आधुनिक दुनिया में मीडिया कवरेज का बहुत महत्व है। कार्यक्रम के आयोजक और प्रोटोकॉल अधिकारी इस बात को ध्यान में रखते हैं। भारत का आतिथ्य सत्कार इसकी परंपराओं, संस्कृति और इतिहास को दर्शाता है।

गणतंत्र दिवस का मुख्य अतिथि किसी देश के राष्ट्रप्रमुख को दिया जाने वाला एक औपचारिक सम्मान है, लेकिन इसका महत्व केवल औपचारिक समारोह से कहीं अधिक है। इस तरह की यात्रा से नई संभावनाएं खुल सकती हैं और दुनिया में भारत के हितों को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिल सकती है।