जाने-माने सिंगर दलेर मेहंदी (Daler Mehndi) को पंजाब पुलिस ने 14 जुलाई को 19 साल पुराने कबूतरबाजी मामले में गिरफ्तार किया था। वह पटियाला जेल में बंद थे। गिरफ्तार के तुरंत बाद से दलेर ने जमानत के लिए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर करनी शुरु कर दी थी। पहले तो कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज किया कि उन्होंने जेल में बहुत कम समय बिताया है।
हालांकि गुरुवार को हाईकोर्ट ने दलेत को जमानत दे दी है। साथ ही दो साल की सजा भी निलंबित कर दी गई है। इस मामले में दलेर के भाई शमशेरा सिंह भी आरोपी थे। हालांकि 2017 में उनकी मौत हो गई।
क्या है मामला?
दलेर मेहंदी और उनके भाई शमशेरा सिंह पर साल 2003 में कबूतरबाजी का केस दर्ज हुआ था। कबूतरबाजी का यह मामला 1998 और 1999 का है। इस मामले में 16 मार्च 2018 को पटियाला की ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने दलेर मेहंदी को धोखाधड़ी और साजिश रचने का दोषी पाया और दो साल की सजा सुनाई। लेकिन उन्हें तुरंत जमानत मिल गई क्योंकि सजा तीन साल से कम की थी।
जमानत पर बाहर घूम रहे दलेर ने कोर्ट से सजा रद्द करने की अपील की। लेकिन अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने याचिका रद्द कर सजा बरकरार रखा। 23 जुलाई को अदालत के फैसले से ही दलेर को गिरफ्तार कर पटियाला जेल भेजा गया था। अब उन्हें फिर से जमानत मिल गई है।
क्या होती है कबूतरबाजी?
‘कबूतरबाजी’ के अपराध में कबूतर (पक्षी) से कोई लेना-देना नहीं होता है। अपराध की दुनिया में लोगों को अवैध तरीके से विदेश भेजने के धंधे को कबूतरबाजी कहा जाता है। यह शब्द पंजाब रीजन में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है। दलेर मेहंदी, शमशेर सिंह, ध्यान सिंह और बुलबुल मेहता पर आरोप था उन्होंने साल 1998 और 1999 में करीब 10 लोगों को गैर कानूनी रूप से सेन फ्रांसिस्को और न्यू जर्सी पहुंचाया।
दलेर लोगों को अपना क्रू मेंबर बनाकर विदेश ले जाते थे। विदेश पहुंचाए गए लोगों में तीन लड़कियां भी शामिल हैं। दलेर मेहंदी और उनके भाई शमशेर सिंह लोगों से पैसेज मनी के तौर पर एक करोड़ चार्ज करते थे।
लेकिन इस बीच कुछ डील फंस गए। लोगों से विदेश ले जाने के नाम पर पैसा तो लिया गया लेकिन विदेश पहुंचाया नहीं गया। न ही पैसा रिफंड किया गया। इस मामले में पहली शिकायत बख्शीश सिंह ने की।
इसके बाद करीब 35 और लोग सामने आए। तभी से छापेमारी और गिरफ्तारी का दौर चल रहा है। कबूतरबाजी के मामले में बुलबुल मेहता बरी हो गए थे। जबकि शमशेरा सिंह और ध्यान सिंह की मौत हो चुकी है।