साल 2022 में अब तक 50 से ज्यादा बॉलीवुड फिल्में रिलीज हो चुकी हैं। बड़े से बड़े सुपर स्टार की फिल्म, एक से बढ़कर एक मल्टीस्टारर फिल्म, एक्शन, कॉमेडी, ड्रामा कैटेगरी की फिल्म, कमर्शियल मसाला से लेकर गंभीर बायोपिक और देशभक्ति वाली फिल्म सब के सब पिट चुकी हैं। सिनेमा की भाषा में कहें तो फ्लॉप हो चुकी हैं। बची-खुची कसर #BoycottBollywood टाइप ट्रेंड्स ने पूरी कर दी है।
इस साल का आठवां महीना खत्म होने को है लेकिन कश्मीर फाइल्स और भूल-भुलैया-2 को छोड़कर किसी भी बॉलीवुड फिल्म को सफल सिनेमा की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। बावजूद इसके क्या वजह है कि इन फिल्मों में पैसा लगाने वाले प्रोड्यूसर आर्थिक तबाही की बात नहीं करते, उनके बर्बाद हो जाने की खबरें नहीं आती, सितारों की कमाई को बड़ा नुकसान नहीं होता, टैक्स भरने की उनकी क्षमता कम नहीं होती।
दरअसल इसके पीछे सिनेमा की कमाई का बहुकोणीय गणित है, जिसे केवल बॉक्स ऑफिस के अंकों से नहीं समझा जा सकता। आइए जानते हैं कि वो कौन-कौन से रास्ते हैं जिसके जरिए फिल्मों से कमाई होती है और कैंसिल कल्चर का इस पर कितना प्रभाव पड़ता है:
प्री-सेलिंग
किसी भी फिल्म को बनाने का खर्च प्रोड्यूसर उठाता है। लेकिन वह फिल्म की रिलीज से पहले ही अपना ज्यादातर पैसा रिकवर भी कर लेता है। दरअसल फिल्म के तैयार होने के बाद प्रोड्यूसर उसे डिस्ट्रीब्यूटर को बेच देता है। अब डिस्ट्रीब्यूटर का काम होता है कि फिल्म को सिनेमा हॉल, ओटीटी, टेलीविजन चैनल तक पहुंचाना। कई बार डिस्ट्रीब्यूटर फिल्म की मार्केटिंग की जिम्मेदारी भी ले लेते हैं। ऐसे में उन्हें ही फिल्म के प्रमोशन और प्रचार पर भी पैसा खर्च करना होता है।
डिस्ट्रीब्यूटर पैसा कमाते हैं फिल्म की सैटेलाइट राइट्स बेचकर, डिजिटल स्ट्रीमिंग राइट्स बेचकर। जैसे- जिस टीवी चैनल पर पहली बार कोई नई फिल्म दिखाई जाती है, उस चैनल ने फिल्म के राइट्स डिस्ट्रीब्यूटर से खरीदे होते हैं।
इस तरह फिल्म को बनाने का खर्च लगभग नॉन थिएट्रिकल राइट्स, डिजिटल, म्यूजिक और सैटेलाइट राइट्स वगैरा से पहले ही निकल आता है। बहुत कम मामलों ऐसा होता है कि फिल्म की कमाई भी न निकले या प्रोड्यूसर को नुकसान हो। कई बार प्रोड्यूसर ही डिस्ट्रीब्यूटर होता हो। ऐसी स्थिति में अगर फिल्म पिट जाती है तो प्रोड्यूसर को नुकसान हो जाता है।
हालांकि इस मामले में भी फिल्म में काम करने वाले हीरो-हीरोइन या दूसरे कलाकारों को नुकसान नहीं होता क्योंकि उनको अपने काम का पैसा पहले ही मिल गया होता है। कुछ मामलों में फिल्म के बड़े कलाकार अपनी फीस न लेकर प्रोड्यूसर के साथ प्रॉफिट शेयर पर काम करते हैं। यानी फिल्म से जितना मुनाफा होता है उसका एक हिस्सा फीस के बदले कलाकार ले लेता है। ये तरीका सिर्फ वही कलाकार अपनाते हैं, जिन्हें यह भरोसा होता है कि उनके होने से फिल्म बढ़ीया बिजनेस करेगी ही करेगी।
फिल्म स्टार्स के दूसरे बिजनेस
अब ज्यादातर बड़े कलाकार फिल्म के एक्टिंग के अलावा दूसरे बिजनेस में भी पैसा लगाते हैं। कुछ एक्टर खुद प्रोड्यूसर भी होते हैं। जैसे- शाहरुख खान, आमिर खान, सलमान खान, अनुष्का शर्मा आदि। वहीं कुछ एक्टर्स दूसरे बिजनेस में पैसा लगाते हैं। जैसे अभिषेक बच्चन में एक स्पोर्ट्स कंपनी में स्टेक ले रखा है। तापसी पन्नु का वेडिंग प्लानिंग का बिजनेस है।
पिछड़ रहा है हिंदी सिनेमा
इंडियन फिल्म इंडस्ट्री फिल्म बनाने के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री है। भारत में हर साल 20 अलग-अलग भाषाओं में करीब 1500 से फिल्म बनाई जाती हैं। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का सबसे चर्चित उपक्रम बॉलीवुड भारत में बनने वाली कुल फिल्मों का करीब 16 प्रतिशत बनाता है। हालांकि पैसा कमाने के मामले में हिंदी सिनेमा दूसरी भाषाओं की सिनेमा की तुलना में आगे रहा है। लेकिन अब तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री ने हिंदी सिनेमा जगत को पछाड़ दिया है। डोमेस्टिक बॉक्स ऑफिस में इस साल तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री का शेयर है 28 प्रतिशत। वहीं बॉलीवुड का है 27 प्रतिशत।