कृष्ण कौशिक।
सेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती के लिए भारत सरकार ‘अग्निपथ योजना’ लेकर आयी है। इस योजना से सरकार को सशस्त्र बलों के वेतन और पेंशन बिल की कटौती में मदद मिलेगी। मंगलवार को जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ”सरकार सेना को बचत के नजरिये से नहीं देखती है। जो भी खर्च होगा, सरकार खर्च करने को तैयार है। हमारा उद्देश्य देश की सीमाओं की रक्षा करना है। जो भी खर्च करना होगा, खर्च किया जाएगा।”
साल 2020 से सरकार रक्षा पेंशन के लिए 3.3 लाख करोड़ रुपये या तो आवंटित कर चुकी है या भुगतान कर चुकी है। वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में रक्षा बजट 5.25 लाख करोड़ रुपये था। पिछले वित्त वर्ष रक्षा बजट 4.78 लाख करोड़ रुपये था। इससे पता चलता है कि 2022-23 का रक्षा बजट पिछले साल की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक है। इस वर्ष आवंटित कुल राजस्व घटक 3.65 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें से पेंशन 119,696 करोड़ रुपये है। पेंशन के लिए आवंटित लगभग 1.20 लाख करोड़ रुपये, 2021-22 में पेंशन के संशोधित अनुमान 1.17 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। 2020-21 में पेंशन बिल और भी अधिक 1.28 लाख करोड़ रुपये था। इस साल के बजट में रक्षा पेंशन कुल रक्षा बजट के एक चौथाई से भी कम है, जो हाल के कई वर्षों के समान है। इसी तरह सेना को दिए जाने वाले वेतन में भी वर्षों से वृद्धि हो रही है।
2020-2021 में सेना को सैलरी और भत्तों के लिए 88,800 करोड़ रुपये भुगतान किया गया था, पिछले साल ये आंकड़ा 10,000 करोड़ रुपये था। 2021-2022 के लिए सेना के वेतन और भत्तों का संशोधित अनुमान 99,800 करोड़ रुपये से अधिक था। इस साल सरकार ने सेना के वेतन और भत्तों के लिए 1.07 लाख करोड़ रुपये आवंटित किया है। 11 लाख से अधिक अधिकारियों और सैनिकों की ताकत के साथ थल सेना देश की तीनों सेनाओं में सबसे बड़ी है।
2020-21 में नौसेना के लिए वेतन और भत्ते के रूप में 6,659 करोड़ रुपये का भुगतान करना था, जो बाद में बढ़कर 7,832 करोड़ हो गया। इस साल के बजट में नौसेना के वेतन और भत्ते के लिए 9,133 करोड़ रखा गया है। इसी तरह, भारतीय वायु सेना के वेतन और भत्ते का खर्च भी बढ़ा है। 2020-21 के बजट में 15,984 करोड़ रुपये आवंटित किया गया था, जिसे बाद में बढ़ाकर 16,347 करोड़ रुपये किया गया था। इस बार के बजट मे 18,346 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है।
इस साल तीनों सेनाओं के कुल वेतन और भत्ते पर करीब 1.35 लाख करोड़ रुपये का खर्चा है। सरकार ने इस साल सिर्फ वेतन और पेंशन के लिए 2.55 लाख करोड़ रुपये आवंटित किया हैं, इसमें से पेंशन का हिस्सा 1.2 लाख करोड़ रुपये है। सरकार ने 2.33 लाख करोड़ रुपये का फंड सुरक्षा बलों के आधुनिकीकरण के लिए रखा है, जो पेंशन और वेतन की रकम से कम है।
ये संख्या कैसे बढ़ी है, ये समझने के लिए 2012-13 का बजट देखना होगा। दस साल पहले, सरकार ने रक्षा पेंशन के लिए 39,000 करोड़ रुपये, सेवाओं के वेतन और भत्ते के लिए 56,000 करोड़ रुपये और पूंजीगत परिव्यय के लिए लगभग 80,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। इस तरह उस साल का कुल रक्षा बजट 2.38 लाख करोड़ रुपये था।
साल 2020 में सेना ने एक प्रारंभिक प्रस्ताव लाकर इस तरह की योजना से कितना पैसा बचाया जा सकता है, इसका एक मोटा आकलन किया था।प्रारंभिक प्रस्ताव में तीन साल के मॉडल पर विचार किया गया था। प्रस्ताव में किए गए कैलकुलेशन से पता चलता है, ”17 साल के अनुबंध पर रख गए सिपाही की तुलना अगर 3 साल की सर्विस पर रखे गए सिपाही से करें तो पता चलता है, सरकार एक सिपाही पर करीब 11.5 करोड़ की बचत कर सकती है। इस प्रकार केवल 1000 जवानों पर 11,000 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है, जिसका उपयोग भारतीय सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए किया जा सकता है।”