Express Adda: ज़ाकिर खान ने इंडियन एक्सप्रेस के Express Adda में शिरकत की। ज़ाकिर ने बताया कि वो म्यूजिकल बैकग्राउंड से आते हैं, वो बचपन से स्टेज पर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने भारत के उस कल्चर के बारे में बात की जहां हमें अपने से बड़े लोगों को सम्मान देना पड़ता है। इस बारे में बात करते हुए ज़ाकिर ने बताया कि उन्होंने अपने उस्ताद को सम्मान दिया है, इतना ही नहीं वो उनका पीक दान तक धो चुके हैं।

उनसे हायरार्की यानी पदक्रम के बारे में सवाल किया गया। जो हमारे देश में बहुत आम बात है। उनसे पूछा गया कि हमारी संस्कृति में ऐसा है कि जो हमसे बड़ा है हम उसे सम्मान देते ही हैं, लेकिन विदेशों हमें ऐसा नहीं है। अनंत गोयंका ने उनसे पूछा कि उन्हें क्या लगता है हमारे देश में इस चीज को लेकर कितना बदलाव आ रहा हैं।

इसका जवाब देते हुए ज़ाकिर ने कहा, “ये नहीं बदलेगा, ये हमारी संस्कृति का हिस्सा है। जैसे हम हाथ से खाना खाते हैं, हम रोटी खाते हैं वो लोग ब्रेड खाते हैं। वैसे ही हमारे सांस्कृतिक लोकाचार हैं, ये नहीं बदलेगा। हमको बड़ों को जो आभार महसूस होता है, उसे आप चैलेंज कर सकते हो, लेकिन अगर आपको लग रहा है कि समाज में बदलाव आएगा तो नहीं आएगा। वो हमारी संस्कृति का हिस्सा है, उसकी वजह से ही…गुरु का बड़ा सम्मान है यहां पर।”

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गुरु का धोया पीकदान

ज़ाकिर ने आगे कहा, “हम तो म्यूजिकल बैकग्राउंड से आते हैं, उस्ताद की बड़ी इज्जत है। दो चीजें हैं, आपको थोड़ा खराब लगेगा सुनने में, उगालदान पीकदान दो अलग-अलग चीजें हैं। हमने उस्तादों के उगालदान-पीकदान धोए हैं। क्योंकि वो आपको सिखा रहे हैं। वो जो आपको सिखा रहे हैं वो आपको किताब में नहीं मिलेगा, इंटरनेट पर नहीं मिलेगा। वो उस्ताद ही सिखा सकता है आपको। उस आदमी ने सालों में जो ज्ञान इकट्ठा किया है वो आपको देने वाला है। तो पीकदान होता है साहब जिसके अंदर वो अपना पान पीकेंगे, उगालदान जिसमें ऐसे ही थूक देते हैं। उस्तादों को साथ में लेकर चलना पड़ता है। आप अगर शागिर्द हैं तो हो सकता है आपको धोना भी पड़ जाए।”

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