भारत को संगीत का इतिहास करीब 4,000 साल पुराना है, यहां संगीत के कई तरह के स्टाइल सुने और पसंद किए जाते हैं। यहां शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, फिल्मी संगीत, सूफी संगीत समेत कई शैलियां मशहूर हैं, लेकिन विदेशी संगीत स्टाइल को भी हमारे देश में अलग पहचान मिली है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं जैज़ के बारे में, जिसे 1920 के दशक में भारत में परफॉर्म करना शुरू किया गया, लेकिन इसे अफ्रीकी और अमेरिका के आर्टिस्ट परफॉर्म किया करते थे। 1935 में मुंबई के ताज महल होटल में एक अफ्रीकी-अमेरिकी जैज़ बैंड के प्रदर्शन ने जैज़ को लोकप्रिय बनाया था। मगर फिर एक वक्त आया जब भारत के ही एक संगीतकार इससे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस स्टाइल को अपनाया और आज वो गॉडफादर ऑफ इंडियन जैज़ के नाम से मशहूर हैं।

हम बात कर रहे हैं, लुईज़ बैंक्स की, जिन्होंने बॉम्बे के नाइटक्लबों में लाइव जैज़ को लोकप्रिय बनाया और 2008 के उन्हें ग्रैमी अवॉर्ड के लिए बेस्ट कंटेंपररी जैज़ एल्बम कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया। लुईज़ बैंक्स की जैज़ संगीत की जर्नी उनके पिता के इस स्टाइल के प्रति जुनून, पियानो आर्टिस्ट ऑस्कर पीटरसन के साथ एक मुलाकात के बाद से ही शुरू हो गई थी। बचपन में, बैंक्स ने अपने पिता के बैंड के साथ जैज़ बजाने का अनुभव किया था और इसके बाद उन्हें कई बार ऑस्कर पीटरसन के पियानो को सुनने मौका मिला, जिससे उनके मन में जैज़ के प्रति जुनून पैदा होने लगा।

कौन थे लुईज़ के पिता?

बैंक्स के पिता, जॉर्ज बैंक्स, एक प्रतिभाशाली संगीतकार और ट्रम्पेट आर्टिस्ट थे, जिन्हें भारत में अमेरिकी संगीतकारों के जरिए जैज़ म्यूजिक सीखने का मौका मिला था। उन्होंने अपने बेटे को अपने बैंड में बजाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे लुईज़ को कम उम्र में ही जैज़ म्यूजिक को जानने का मौका मिला।

कैसे बने गॉडफादर ऑफ इंडियन जैज़?

द रोलिंग स्टोन की रिपोर्ट के अनुसार, 1974 में एक डेनिश जैज़ गायिका, करिन क्रोग, बॉम्बे में थीं। लोकल जैज़ प्रेमियों के एक ग्रुप- सोली सोराबजी, निरंजन झावेरी, जहांगीर दलाल, और कुछ अन्य लोगों ने प्रेसिडेंट होटल में दोपहर का एक सेशन आयोजित किया। क्रोग के सेशन के लिए लोकल म्यूजिशियन की जरूरत थी। कोलकाता से लुइज़ बैंक्स को बुलाया गया था। सैक्सोफोन पर ब्रेज़ गोंसाल्वेस और बांसुरी पर मनोहरी सिंह सहित अन्य लोग भी थे। ये एक बेहद सफल संगीत कार्यक्रम रहा और इससे भारत में जैज़ को एक अलग पहचान मिलने का रास्ता भी खुल गया। बैंक्स ने क्रोग के समर्थन में अद्भुत काम किया था। जिन्होंने डेक्सटर गॉर्डन, नील्स पेडरसन और अन्य जैसे कलाकारों के साथ रिकॉर्डिंग की है। बैंक्स की इंटरनेशनल आर्टिस्ट से कम नहीं थी। इसके बाद उन्होंने जैज़ यात्रा फेस्टिवल में भी हिस्सा लिया।

इसके बाद से बैंक्स ने म्यूजिक डायरेक्टर आर.डी. बर्मन के बैंड में कई फिल्मों में म्यूजिक दिए। इसके अलावा उन्होंने दर्जनों विज्ञापन जिंगल्स भी लिखे। बैंक्स ने अपनी जैज़ परफॉर्मेंस से लोकप्रियता हासिल की। उन्होंने जाकिर हुसैन जैसे कलाकारों के साथ खूब संगीत बजाया है, वो उनके साथ इंटरनेशनल टूर करते थे। इनके अलावा बैंक्स ने शिवमणि, शंकर महादेवन, संजय दिवेचा के साथ भी काम किया है, और उनकी नियमित जैज़ तिकड़ी में शेल्डन डिसिल्वा बास और उनके बेटे गीनो बैंक्स ड्रम प्ले करते हैं।

भारतीय जैज़ के गॉडफादर एक संगीतकार के रूप में आधी सदी से भी ज़्यादा समय बिता चुके हैं। लुईज़ बैंक्स 84 साल के हो चुके हैं और आज भी वो अपने काम से सबको हैरान कर रहे हैं।

लुईज़ बैंक्स की म्यूजिक एल्बम

लुईज़ बैंक्स कई स्टाइल में अपनी म्यूजिक एल्बम जारी किए हैं, जिनमें “म्यूजिक फ़ॉर रोमांस” सीरीज, “द फ़्रीडम रन” (1997), “माइल्स फ़्रॉम इंडिया” (2008), “प्राण” (2018), और “गंगाशक्ति” (2016) शामिल हैं। उनकी डिस्कोग्राफी में “प्रिज्म” (2016), “इंट्रोस्पेक्शन” (2014), “मूनलाइट इन गोवा” (2011), “दिया” (2016), और “फीवर क्यूबानो” (2017) जैसे एल्बम भी शामिल हैं।