बॉलीवुड अभिनेत्री रेखा का पूरा नाम भानू रेखा गणेशन है। रेखा आज भले ही बड़े परदे गायब हैं, लेकिन उनसे जुड़े कई किस्से फिल्मी दुनिया में लोगों की जुबान पर हैं। फिल्मों को लेकर अभिनेत्री रेखा का अनुभव ज्यादा अच्छा नहीं रहा, शायद यही कारण रहा हो कि उन्होंने अपनी छोटी बहन राधा को कभी फिल्मों में आने नहीं दिया। रेखा के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इसलिए 13 साल की रेखा को मजबूरन काम करना पड़ा। रेखा उस समय फिल्म करने के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन रेखा की मां ने हाथी-घोड़े देखने का लालच देकर रेखा से फिल्म साइन कराई थी।

दरअसल, रेखा की मां पुष्पावल्ली तेलुगु फिल्मों की जानी-मानी हीरोइन थीं तो वहीं पिता जेमिनी गणेशन तमिल फिल्मों के बड़े स्टार थे। रेखा की मां यानी की पुष्पावल्ली जेमिनी गणेशन की तीसरी पत्नी थीं। लेकिन दोनों का वैवाहिक जीवन सुखी नहीं था। मां और पिता के रिश्ते की कड़वाहट का असर रेखा पर पड़ा। जेमिनी गणशेन घर पर ध्यान नहीं देते थे। इस वजह से रेखा के घर की स्थिति ठीक नहीं थी। रेखा हमेशा अपनी मां से कहा करती थी कि उसे फिल्मों में काम नहीं करना है। साल 1969 में रेखा को ‘अंजाना सफर’ फिल्म का ऑफर मिला। रेखा फिल्म नहीं करना चाहती थीं, लेकिन रेखा की मां ने यह कहकर राजी कर लिया कि तुम साउथ अफ्रीका जाओगी, वहां पर वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी में जानवर देखने को मिलेंगे। हाथी-घोड़े देखने को मिलेंगे।

रेखा का दक्षिण अफ्रीका का एक्सपीरियंस अच्छा रहा, लेकिन मुंबई का एक्सपीरियंस अच्छा नहीं रहा। रेखा की मां की ओर टीम को निर्देश था कि उन्हें चॉकलेट और आइसक्रीम से दूर रखा जाए, क्योंकि रेखा एक चबी चाइल्ड थीं। रेखा को मुंबई की भाषा समझने में भी परेशानी होती थी। उन्हें कभी-कभी गंदे शब्दों को भी सुनना पड़ता था। रेखा ने एक पुराने इंटरव्यू में मुंबई के बारे में कहा, ”मुंबई मेरे लिए जंगल के जैसा रहा, जहां लोग मेरा फायदा उठाने की कोशिश किया करते थे। मुझे ऐसे गहने और कपड़े पहनाए जाते थे, जिससे मुझे एलर्जी हो जाया करती थी।”