संजय दत्त की विवादास्पद ज़िंदगी को दर्शक कुछ ही दिनों में सिनेमाघरों में देख सकेंगे। राजू हिरानी और रणबीर कपूर एक ऐसे दौर में, जब कई स्टार्स अपनी पब्लिक इमेज को लेकर बेहद सतर्क और संवेदनशील बने रहते हैं, बॉलीवुड के इस खलनायक ने कभी ड्रग्स और जेल की ज़िंदगी के संघर्षों को नहीं छिपाया, लेकिन ये ज़रूर है कि वे अपनी लव लाइफ के बारे में ज़्यादा बातें नहीं करते थे। 1980 के दौर में संजय दत्त और टीना मुनीम एक दूसरे को डेट कर रहे थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, 1981 में आई फिल्म रॉकी के दौरान संजय और टीना एक दूसरे के करीब आए थे और दोनों ने डेट करना शुरू किया था। हालांकि संजय की ड्रिंकिग प्रॉब्लम और ड्रग्स की आदतों के चलते ये रिश्ता जल्द ही खत्म हो गया था।
यासिर उस्मान की संजय दत्त पर आई किताब के मुताबिक, संजय दत्त के लिए इस ब्रेकअप से उबरना काफी मुश्किल था। 1982 की एक शाम संजय दत्त अपने घर में अकेले थे और उनके पास अपनी .22 राइफल मौजूद थी। संजय ने हताशा और नशे में आकर हवा में गोलियां चला दी, इससे उनके बंगले की कुछ खिड़कियां टूट गईं और कार की विंडस्क्रीन टूट गई। कुछ ही मिनटों में आसपड़ोस के लोग संजय के घर के पास जमा हो गए। संजय उस समय दुखी और परेशान होकर रोने लगे। वे चिल्लाए और उन्होंने कहा था – ‘तुम सब लोग मुझसे क्यों डर रहे हो? मैं ड्रग एडिक्ट नहीं हूं। मैंने ड्रग्स छोड़ दिए हैं’ माना जाता है कि संजय, टीना के साथ हुए ब्रेकअप की वजह से परेशान थे।

दरअसल उस दिन संजय घर में अकेले थे। उनके पिता अमेरिका में एक शूट के सिलसिले में अपनी दोनों लड़कियों को साथ ले गए थे। वहीं अपने दोस्त कुमार गौरव को संजय एयरपोर्ट छोड़ कर आए थे। संजय को पता चला था कि उनकी गर्लफ्रेंड टीना की फिल्म की शूटिंग सिंगापुर में खत्म हो चुकी थी। लेकिन टीना ने संजय को फोन नहीं किया था। संजय घर पहुंचे और शराब पीने लगे। वे इस बात से खासे परेशान थे कि लौटने के बावजूद टीना ने उन्हें फोन क्यों नहीं किया। दरअसल टीना संजय से अपना नाता तोड़ चुकी थी लेकिन संजय इस बात को बर्दाशत नहीं कर पा रहे थे। संजय ने कहा था – शूटिंग खत्म हो चुकी थी, सारा क्रू वापस आ गया था लेकिन टीना कहां थी ? मैं उसे प्यार करता था, मैं उसके बिना कैसे जी पाता ? लेकिन जैसे जैसे रात बीतती गई, संजय ने काफी शराब पी ली और वे बेहद गुस्से में थे। नशे और गुस्से के इसी डोज़ के चलते उन्होंने अपनी राइफल से घर में ही गोलियां चला दी थी। हालांकि संजय ने इस किताब की आलोचना करते हुए कहा था कि इस किताब में कई घटनाएं केवल अफवाहों पर आधारित हैं।