CineGram: राजेश खन्ना भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार थे, उन्हें जो स्टारडम मिला था वो आज तक किसी और एक्टर को नहीं मिल पाया। लड़कियां उनकी दीवानी थीं और उनकी कार की धूल से मांग भर लिया करती थीं। लेकिन उनकी जिंदगी में एक ऐसा पल भी था जब वो रो पड़े थे। सिनेग्राम में आज हम जो किस्सा बताने वाले हैं वो यासिर उस्मान ने अपनी किताब में लिखा है।
राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना था, उन्हें उनके माता-पिता ने बहुत प्यार से पाला था। राजेश खन्ना घर के एकलौते बेटे थे इस वजह से उन्हें घर से बहुत प्यार मिलता था। जतिन किसी राजकुमार की तरह घर में रहते थे और इस वजह से उनकी आदत भी खराब हो गई थी। वो जिद्दी हो गए थे, सब उन्हें दुलार करते थे और कोई भी उन्हें नहीं डांटता था। एक बार जतिन को ऐसी डांट पड़ी कि उनकी आंखों से आंसू बहने लगे, आइए जानते हैं पूरा मामला।
बात तब की है जब जतिन की उम्र लगभग 10 साल की थी, जतिन अपने पापा के ऑफिस गए। वहां उनके पिता चुन्नीलाल किसी मीटिंग में बिजी थे। पिता व्यस्त थे तो जतिन उनके केबिन में गए और उनकी कुर्सी पर बैठ गए। उनके पास एक कॉमिक्स थी जतिन उसी आरामदायक कुर्सी पर आराम से बैठकर कॉमिक्स पढ़ने लगे। उसी वक्त जतिन के मामा वहां पहुंच गए, मामा का नाम के के तलवार था और वो अपने जीजा चुन्नीलाल के यहां नौकरी करते थे। जतिन को कुर्सी पर बैठा देख उनके मामा ने गुस्से में कहा, “काका, तुम इस कुर्सी पर क्यों बैठे हो? “
जतिन से सभी प्यार से बात करते थे और इस तरह से मामा का बात करना उन्हें अच्छा नहीं लगा। के के तलवार ने आगे कहा,”किसी की कुर्सी पर बैठने से पहले तुम अपने आपको उस लायक तो बनाओ।” मामा का इस तरह से बात करना जतिन को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। जतिन अपने पिता की कुर्सी से उठे और रोते हुए अपने घर वापस आ गए। वो जानना चाहते थे कि मामा जो हमेशा उनसे इतने अच्छे से बात करते थे आज उन्होंने डांटा क्यों? जतिन अपने पापा से बात शेयर करना चाहते थे मगर वो हिम्मत नहीं कर सके।
जतिन अपनी मां लीलावती खन्ना के पास गए जिन्हें वो प्यार से चाईजी कहते थे। जतिन ने उनसे पूछा कि लायक बनना क्या होता है? तब तक लीलावती को खबर मिल चुकी थी कि उनके भाई ने जतिन को डांटा है। जतिन की मां ने उन्हें प्यार से अपने पास बिठाया और उनके पिता चुन्नीलाल खन्ना के संघर्ष और सफल होने की कहानी सुनाई। मां ने बताया कि उनके पिता कभी मिल में सुपरवाइजर थे और उनकी जिंदगी चॉल में गुजरती थी। पिता ने कड़ी मेहनत की और रेलवे कॉन्ट्रैक्टर बने। धीरे-धीरे अपना बिजनेस खड़ा किया। चाईजी ने जतिन को समझाया कि तुम्हारे पिता ने इस कुर्सी तक बैठने का सफर तय किया है और मेहनत से यहां पहुंचे हैं। मां ने कहा कि उन्होंने अपनी मेहनत से सबकुछ कमाया है इसलिए उस कुर्सी के असली हकदार तुम्हारे पिता हैं।
जतिन उर्फ राजेश खन्ना ने जब पिता के संघर्षों और सफलता की कहानी सुनी तो वो भावुक हो गए। ये उनकी जिंदगी के लिए अहम सबक बना और फिर वो अपने पिता की कुर्सी पर नहीं बैठे। जब वो सुपरस्टार बन गए तो अपने दोस्तों के बीच भी इस घटना के बारे में बताते थे। राजेश खन्ना अपनी चाईजी को भी याद किया करते थे।
यहां पढ़िए वो किस्सा जब फरीदा जलाल ने राजेश खन्ना को घमंडी कहा था।