स्मिता पाटिल ने बड़े परदे पर जिस तरह में मज़बूत किरदार निभाए, निजी ज़िंदगी में भी वो वैसी हीं थीं। उन्होंने अपने शर्तों पर ही 31 साल की छोटी सी ज़िंदगी गुजारी। स्मिता पाटिल को राज बब्बर से प्यार हुआ और वो उनसे शादी भी करना चाहतीं थीं। राज बब्बर उनके प्यार में अपनी पत्नी नादिरा बब्बर और बच्चों को छोड़ उनके साथ ही रहने लगे थे। स्मिता पाटिल को पूरा यकीन था कि राज उनसे शादी कर लेंगे।

लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। स्मिता पाटिल के माता-पिता प्रगतिशील विचारों के थे। उन्होंने राज बब्बर से कहा कि वो अपनी पहली पत्नी को तलाक देकर स्मिता पाटिल से शादी कर लें लेकिन राज बब्बर राजी नहीं हुए। राज बब्बर के इनकार से स्मिता सदमे में चलीं गईं थीं जिसका जिक्र उनकी छोटी बहन मान्या पाटिल ने अनु कपूर के रेडियो शो में किया था।

उन्होंने बताया था, ‘जब राज बब्बर से स्मिता की शादी नहीं हो पाई तो वो बहुत ही मुश्किल में और दुखी रहतीं थीं। उनको इस बात पर पूरा यकीन था कि शादी होने वाली है, वो शादी करने वाले हैं लेकिन उन्होंने किया नहीं। इसकी वजह से उन्हें बहुत ज्यादा अपमान महसूस हुआ था।’

मान्या पाटिल ने आगे बताया था, ‘मुझे याद है एक बात.. जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगी। मैं परदेश में रहती थी, यहां जब आती थी तो उन्हीं के साथ रहती थी। एक बार उन्होंने मुझसे कहा कि मान्या मैं खुद की नज़रों में इतनी गिर गई हूं कि पता नहीं इससे कभी मैं उठ भी पाऊंगी या नहीं। वो इतनी जिद्दी लड़की थीं, किसी को भी टक्कर देने में पीछे नहीं हटतीं थीं, ऐसी लड़की का अपनी ज़िंदगी से हार मान लेना, बहुत बड़ी ट्रेजेडी हुई।’

स्मिता पाटिल की मौत बेटे प्रतीक के जन्म के 15 दिनों बाद हो गई थी। स्मिता को बच्चों से बहुत लगाव था और इसलिए राज बब्बर से अलग होने के बाद भी उन्होंने अपने पेट में पल रहे बच्चे को अबॉर्ट का कभी नहीं सोचा। जब प्रतीक का जन्म हुआ तब वो ठीक थीं। लेकिन उसके बाद उनकी तबियत बिगड़ने लगी और 13 दिसंबर 1986 को उन्होंने दम तोड़ दिया।

स्मिता पाटिल की आखिरी इच्छा के अनुसार, दुल्हन की तरह सजाकर उनका अंतिम संस्कार किया गया। जीते जी तो वो राज बब्बर की दुल्हन नहीं बन सकीं लेकिन आखिरी वक्त में राज बब्बर ने उन्हें अपनी दुल्हन बनाकर विदा दिया। राज बब्बर ने उनके बेटे प्रतीक को अपना नाम भी दिया।