70वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा मिथुन चक्रवर्ती को दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। फिल्म जगत में मिथुन के योगदान के लिए उन्हें इस गौरवपूर्ण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हिंदी सिनेमा के डिस्को डांसर कहलाए जाने वाले मिथुन ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक फिल्में दी, लेकिन एक वक्त ऐसा था जब इंडस्ट्री में कोई उनके साथ काम नहीं करना चाहता था। उस वक्त जीनत अमान ने उनका साथ दिया और इसके लिए वो आज भी खुद को एक्ट्रेस का आभारी मानते हैं।
रंग के कारण झेलना पड़ी दिक्कत
एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में मिथुन ने बताया कि उनके रंग के कारण उन्हें बहुत कुछ झेलना पड़ा। हर बड़ी हीरोइन उनके साथ काम करने से इनकार कर देती थी। मिथुन ने कहा, “मुझे पहली ही फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। इसके बाद मैं अपने आप को सबसे बड़ा समझने लगा। मैं अपने आप को लीजेंड्री एक्टर अल पचीनो से मिलाने लगा। फिर मुझे प्रोड्यूसर्स ने हकीकत दिखाई और सभी फिल्मों से निकाल दिया। तब मुझे पता चला कि मैं गलती कर रहा था। इसके बाद मेरा स्ट्रगल शुरू हुआ।”
मिथुन ने बताया कि एस समय ऐसा भी था जब सभी बड़ी एक्ट्रेसेस ने उनके साथ काम करने से इनकार कर दिया था। लेकिन उन्होंने हाल नहीं मानी और फिर जीनत अमान ने उनका साथ दिया और साथ में फिल्म की। इसके बारे में बात करते हुए मिथुन ने कहा, “1983 में बृज सदाना फिल्म ‘तकदीर’ बना रहे थे। उन्होंने तय कर लिया था कि मिथुन ही मेरा हीरो है, तो ब्रिज ने जीनत जी से कहा, देखो यह लड़का बहुत अच्छा है। जीनत जी ने कहा, यह बहुत हैंडसम है और अच्छा डांस करता है। मैं इसके साथ काम करूंगी। इसके बाद फिर मेरी नई शुरुआत हुई। धीरे-धीरे सभी बड़ी एक्ट्रेसेस ने मेरे साथ फिल्में साइन करना शुरू कर दिया। मैं हमेशा जीनत जी का आभारी रहूंगा।”
बता दें कि मिथुन चक्रवर्ती ने 1976 में आई फिल्म ‘मृग्या’ से अपने करियर की शुरुआत की थी, लेकिन उनकी किस्मत 80 के दशक में चमकी, जब उन्होंने 1982 में आई फिल्म ‘डिस्को डांसर’ में अपना कमाल दिखाया। उनकी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छा प्रदर्शन किया था।