सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी के बाद बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद और खेमेबाजी पर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। इस बीच, पहली बार कुछ ऐसी जानकारियां सामने आई हैं, जिनसे बॉलीवुड कलाकारों की पोल खुल गई है।
इंडियन एक्सप्रेस अखबार के पूर्व प्रधान संंपादक और ग्रुप के तत्कालीन सीईओ ने ‘द प्रिंट’ वेबसाइट पर लिखे अपने स्तंभ में ऐसी जानकारी दी है जो पहली बार सार्वजनिक हुई है और बॉलीवुड सितारों के चेहरे पर चढ़ा आवरण हटाने वाला है। कैसे ये सितारे अवॉर्ड के लिए नहीं चुने जाने पर नाराज होते हैं, जूरी पर सवाल उठाते हैं और किस तरह ब्लैकमेल तक करते हैं, इसका उदाहरण सामने आया है।
इंडियन एक्सप्रेस समूह द्वारा दिए जाने वाले ‘स्क्रीन अवॉर्ड’ से जुड़े अपने निजी अनुभव शेखर गुप्ता ने सार्वजनिक किए हैं। 2010 में स्क्रीन अवॉर्ड शो में परफॉर्म करने के लिए कैटरीना कैफ ने करार किया था। सारा पैसा उन्होंने कार्यक्रम से पहले ही ले लिया था। लेकिन, ऐन कार्यक्रम के वक्त वह नखरे दिखाने लगीं। वजह थी, अवॉर्ड के लिए किसी भी कैटेगरी में उनका नहीं चुना जाना। अवॉर्ड न मिले तो ब्लैकमेलिंग भी सही! जानिए शाहरुख कैंप से जुड़ा यह किस्सा
कैटरीना कार्यक्रम में परफॉर्म करने के लिए पूरी तरह तैयार होकर अपनी वैनिटी वैन में थीं। तभी खबर आई कि वह परफॉर्म नहीं करेंगी। शेखर गुप्ता वैनिटी वैन में गए। कैटरीना भड़क गईं। क्यों मुझे हर बार बुलाया जाता है, लेकिन कोई अवॉर्ड नहीं दिया जाता? गुप्ता ने जवाब दिया- ये तो डील नहीं थी, आपसे करार स्टेज परफॉर्मेंस के लिए हुआ है। तब तक कैटरीना की आंखों से आंसू बहने लगे थे। तब पॉपुलर चॉयस अवॉर्ड देकर कैटरीना को शांत किया गया था।
2012 के स्क्रीन अवॉर्ड में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए जोया अख्तर (जिंदगी ना मिलेगी दोबारा) के बजाय मिलन लुथरिया (डर्टी पिक्चर) का चयन हो गया था। जिस दिन अवॉर्ड बंटने थे उस दिन जिंदगी ना मिलेगी दोबारा की टीम ने कार्यक्रम के बायकॉट का फैसला कर लिया। जबकि, इन दोनों फिल्मों को संयुक्त रूप से सर्वश्रेष्ठ फिल्म के अवॉर्ड के लिए चुना गया था।
फरहान चंद मिनट में निकल गए: सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार पाने वाली टीम अवॉर्ड का बायकॉट कर दे, यह बड़ी परेशान करने वाली बात थी। पर, कोई रास्ता नहीं निकल रहा था। जिंदगी ना मिलेगी दोबारा की पूरी टीम तो कार्यक्रम में नहीं ही आ रही थी, अपने दोस्तों को भी आने से मना कर रही थी।
शेखर गुप्ता ने जावेद अख्तर को फोन लगाया। जावेद से बात नहीं हुई। फरहान अख्तर का फोन जरूर आया। फरहान ने कहा कि वह कार्यक्रम में आएंगे, लेकिन स्टेज पर अवॉर्ड लेने नहीं जाएंगे। फरहान काली टी-शर्ट में आए और कुछ ही मिनट में चले गए।
कार्यक्रम में पहली पंक्ति में कृषिका लूला बैठी थीं। उनकी कंपनी इरोज के पास फिल्म के राइट्स थे। उनसे आग्रह किया गया कि वह स्टेज पर आकर जिंदगी ना मिलेगी दोबारा को मिला अवॉर्ड स्वीकार करें। भला वह यह जोखिम क्यों उठातीं? अंत में एक्सप्रेस ग्रुप के एक स्टाफ को फिल्म की टीम की ओर से अवॉर्ड स्वीकार करने के लिए आमंत्रित किया गया।

