ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी का फ़िल्मी सफ़र बेहद ही सफल रहा है। हेमा मालिनी ने राज कपूर के साथ फिल्म ‘सपनों के सौदागर’ से बॉलीवुड में एंट्री की थी। फिल्म को काफी पसंद किया गया और हेमा मालिनी ने लोगों को पहली ही फिल्म से अपना दीवाना बना दिया। वो फ़िल्में करती गईं और उन्हें एक के बाद एक सफलता मिलती गई। लेकिन उनके इस रस्ते में कुछ मुश्किलें भी आईं। उनकी मां फिल्मों में आने के उनके फैसले पर साथ तो थीं लेकिन वो कभी- कभी बहुत ज्यादा सख्त हो जाती थीं। एक बार तो कोई सीन फिल्माने को लेकर मां की बातों से हेमा बहुत नाराज़ हो गईं थीं और उन्होंने कह दिया था कि इतनी रोक-टोक होगी तो वो फिल्म जगत छोड़ देंगी।

मां का केयर कभी- कभी एक्सट्रीम हो जाता था- जब एक इंटरव्यू के दौरान हेमा मालिनी से पूछा गया कि आपकी मां हमेशा शूटिंग के दौरान आपके साथ होती थीं और निगरानी रखती थीं। इसपर हेमा मालिनी ने कहा था, ‘मैं उस वक्त कम उम्र की थी, मुझे दुनियादारी की ज्यादा समझ नहीं थी तो मां मेरे साथ होती थी और मुझे गाइड करती थी, मेरा ध्यान रखती थी। इतना केयर और गाइड के लिए मैं मां की आभारी हूं।’

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कभी- कभी वो थोड़ा ज्यादा ही एक्स्ट्रीम हो जाती थीं, जो उनके करियर के लिए ठीक नहीं था। जब फिल्म डायरेक्टर हेमा को कोई रोमांटिक सीन शूट करने के लिए कहता था तो हेमा के मां की आंखों में गुस्सा देखा जा सकता था। इतना ही नहीं, एक बार हेमा के परिवार वालों की रोक-टोक इतनी बढ़ गयी थी कि हेमा ने मां से कह दिया अगर इतनी रोक- टोक लगाना है तो फिर मैं आगे फिल्मों में काम ही नहीं करूंगी। एक कलाकार को डायरेक्टर की बात भी सुननी होती है। मां केयर करती है ये अच्छी बात है लेकिन कई बार एक्स्ट्रीम हो जाने से दोनों के बीच संतुलन बैठा पाना मुश्किल हो जाता था।

 

बेटे- बेटी की रोमांटिक सीन की शूटिंग पर हेमा नहीं जाती हैं सेट पर- हेमा मालिनी का कहना है कि कोई भी व्यक्ति अपने परिवार वालों के आंखों के सामने रोमांटिक सीन करने में थोड़ा सा हिचकिचा सकता है। रोमांटिक सीन को मां-बाप के सामने एक कलाकार सही से शूट नहीं कर सकता है। मेरी मां मेरे साथ होती थीं तो उनके सामने मुझे सीन शूट करने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इसी अनुभव ने मुझे अपने बच्चों के साथ कब कैसा व्यवहार करना चाहिए, इसकी सीख दी है।

 

हेमा मालिनी का यह भी कहना है कि बच्चों को खुद से जीने का थोड़ा मौका मिलना चाहिए और हर चीज पर परिवार की निगरानी नहीं होनी चाहिए। यही कारण है कि हेमा अपने बच्चों पर उतनी निगरानी और पहरे नहीं रखती हैं, जितना उनके घर वाले उनपर रखते थे।