अमिताभ बच्चन ने गांधी परिवार से नजदीकियों के कारण राजनीति का रुख़ किया था। वो राजीव गांधी के कहने पर इलाहाबाद से चुनाव लड़े और जीते भी। लेकिन इसके कुछ सालों बाद ही राजीव गांधी सरकार बोफोर्स घोटाले में घिर गई। अमिताभ बच्चन पर भी सवाल उठाए गए और अख़बारों में हर रोज़ अमिताभ की आलोचनाएं छपने लगीं। इससे परेशान अमिताभ के पिता हरिवंश राय बच्चन ने उनसे सवाल पूछा था कि कहीं वो कुछ ग़लत काम तो नहीं कर रहें।

साल 1987 में बोफोर्स घोटाला सामने आया जिसके बाद अमिताभ बच्चन की छवि खराब होने लगी। घोटाले में उनकी संलिप्तता को लेकर हर रोज़ अख़बारों में ख़बरें छपने लगीं जिसे हरिवंश राय पढ़कर बेहद दुखी होते। अमिताभ बच्चन ने इस बात का ज़िक्र प्रभु चावला के शो, ‘सीधी बात’ में किया था।

उन्होंने बताया था, ‘जब बोफोर्स का इल्ज़ाम मुझ पर और मेरे परिवार पर लग रहा था, उस दौरान एक बात बाबूजी के मुंह से निकली थी। पत्रकार बहुत कुछ हमारे बारे में रोज़ कहते, अख़बारों में हमारी निंदा होती थी, आरोप लगाया जाता था। इससे परेशान होकर बाबूजी ने मुझे बुलाया और एक तरफ़ ले जाकर कहा कि बेटा तुम कोई गलत काम तो नहीं कर रहे हो?’

अमिताभ ने आगे बताया था, ‘उस समय मुझे लगा कि अगर बाबूजी के मन में ऐसी धारणा बैठ गई है कि कुछ गलत हो रहा है तो मुझे इसके लिए लड़ना चाहिए। उस समय मैंने तय किया और उनसे कहा कि वो मुझे सड़क पर उतार दें लेकिन फिर भी मैं लड़कर वापस आने का प्रयत्न करूंगा।’

 

बोफोर्स में नाम आने के बाद अमिताभ बच्चन ने इस्तीफ़ा दे दिया था और उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया था। अमिताभ बच्चन को 25 सालों बाद बोफोर्स मामले में क्लीन चिट मिल गई थी। बताया गया कि बोफोर्स घोटाले में अमिताभ बच्चन का नाम जानबूझकर डाला गया था।

क्लीन चिट मिलने पर अमिताभ बच्चन का दर्द अपने ब्लॉग में छलका था, ‘घटना के 25 सालों बाद मैं अपना निजी अनुभव बताता हूं। मैंने आज ही पढ़ा कि मामले की जांच करने वाले प्रमुख जांचकर्ता ने मुझे बेकसूर करार दिया है। वो गलती जो मैने की ही नहीं थी, लेकिन वो जो शायद हमेशा मेरी ज़िंदगी पर बदनुमा दाग था और शायद आगे भी रहेगा।’

उन्होंने आगे लिखा था, ‘इस इल्जाम की वजह से मैंने जितने घंटे, दिन महीने और साल तकलीफ में गुजारे, उसका कोई भी आदमी अंदाज़ा नहीं लगा सकता। लेकिन क्या इससे दूसरों को कोई फर्क पड़ता है, शायद नहीं।’