हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में जब भी सुकून और ताजगी का अहसास देने वाले मधुर संगीत की चर्चा होती है। संगीतकार जयकिशन और उनके साथी शंकर की याद आ जाती है। वह पहली संगीतकार जोडी थी, जिसने तकरीबन दो दशक तक संगीत जगत पर राज किया और हिंदी फिल्म संगीत को पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता दिलाने का काम किया। साथ ही हिंदी सिनेमा में स्वर साम्रागी कहे जाने वाली लता मंगेशकर आज जिस मुकाम पर हैं । वहां तक उनके पहुंचने में इस जोडी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। साल 1949 में रिलीज हुई दो फिल्में महल और बरसात से लता मंगेशकर ने काफी प्रसिद्धी हासिल की थी। फिल्म बरसात से के संगीतकार जयकिशन और शंकर थे। यही वह फिल्म थी, जिससे उनके साथ गीतकार शैलेन्द्र और हसरत जयपुरी ने अपने करियर की शुरुआत की थी। चलिए आज हम आपको शंकर, जयकिशन, डांस डायरेक्टर सत्यनारायण, हसरत जयपुरी और शैलेंद्र से जुड़ा एक रोचक किस्सा बताते हैं। जब इन सभी को भेलपुरी वाले के पास गिरवी रहने पड़ा था।

दरअसल यह वाकया साल 1949 में रिलीज हुई सफल फिल्म बरसात के बाद का है। एक दिन डांस डायरेक्टर सत्यनारायण के साथ शंकर, जयकिशन, हसरत जयपुरी और शैलेंद्र गांव चौपाटी पर टहल रहे थे। उस वक्त ‘बरसात’ हिट साबित हुई थी लेकिन शंकर-जयकिशन के अभी भी स्ट्रगल कर रहे थे।

टहलते हुए सत्यनारायण ने भेलपुरी खाने के इच्छा जाहिर की और सभी भेलपुरी खाने चले गए। एक के बाद एक ऑर्डर करते रहे और मजे से दावत उड़ाते रहे लेकिन जब बिल देने की बारी आई तो सभी एक-दूसरे की तरफ देखने लगे। भेलपुरी का बिल 11 रुपये बन चुका था लेकिन सभी की जेब से मिलाकर कुल 25 पैसे निकले।

भेलपुरी वाला भी इन सभी से अंजान था। तो तय हुआ कि सत्यनारायण पास में किसी जानकर से पैसे का जुगाड़ कर लाएंगे। वहीं तब तक शंकर – जयकिशन, हसरत जयपुरी और शैलेंद्र भेलपुरी वाले के पास गिरवी के रूप में बैठे रहेंगे। खैर, करीब 1 घंटे बाद सत्यनारायण पैसे लेकर आए और सभी वहां से निकल पाए थे।

बता दें कि ‘बरसात’ के गाने बालीवुड के इतिहास में ‘मील का पत्थर’ माने गए थे। इनमें मेरी आंखों में बस गया कोई रे, जिया बेकरार है छाई बहार है, मुझे किसी से प्यार हो गया, हवा में उडता जाए मेरा लाल दुपट्टा मलमल का, अब मेरा कौन सहारा, बरसात में हमसे मिले तुम सजन, तुमसे मिले हम, बिछड गई मैं घायल हिरनी, बन बन ढूंढूं गाने शामिल थे।