यह वाकया साल 1958 में रिजीज हुई फिल्म साधना की शूटिंग के दौरान का है। बी.आर चोपड़ा के निर्देशन बनी इस फिल्म में बतौर लीड हीरो सुनील दत्त और उनके अपोजिट एक्ट्रेस वैजयंतीमाला नजर आई थीं। इस फिल्म में एक कवाली काफी फेमस हुई थी जिसके बोल थे ‘आज क्यूं हमसे पर्दा है’। फिल्म साधना के लिए यह कवाली मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी ने लिखी थी। साहिर लुधियानवी हिंदी सिनेमा जगत के फेसस गीतकार और शायर रहे हैं उन्होंने कई फिल्मों के गाने लिखे हैं, जिनमें ‘मैं पल दो पल का शायर हूं’ (कभी कभी 1976), ‘यह दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है’ (प्यासा 1957), और ‘ईश्वर अल्लाह तेरे नाम’ (नया रास्ता 1970) जैसे सहाबहार गाने शामिल हैं।

साल 1958 में आई साधना में साहिर लुधियानवी की कवाली के लिए एक चेहरा ढूंढा जा रहा था जिसे उर्दू की अच्छी खासी समझ होनी चाहिए। इसे सिलेसिले में काफी तलाश की गई। एक दिन जब गीतकार साहिर लुधियानवी बी आर फिल्म्स के ऑफिस पहुंचे तो उन्होंने सड़क के किनारे एक शख्स को देखा। खराब हातल में सड़के किनारे बैठा वह शख्स आते-जाते लोगों को सलाम ठोककर भीख मांग रहा था लेकिन कोई उस पर ध्यान नहीं दे रहा था। जब साहिर ने उस शख्स को गौर से देखा तो वह तेजी से उसकी तरफ दौड़े। साहिर ने उस शख्स को उठाया और सीने से लगा लिया।

साहिर उस शख्स को स्टूडियों के अंदर ले आए और उसके खाने-पीने के लिए मंगवाया। साहिर ने बी.आर से कहा कि कवाली में यह काम करेंगे। बी.आर से ऐतराज जताया तो साहिर गुस्सा से कहा कि जिसके बारे में वह बात करे हैं वह बहुत बड़े स्टार हैं। साहिर जिस शख्स को स्टूडियों में लेकर आए थे वह और कोई नहीं बल्कि मास्टर निसार थे।

30 के दशक में मास्टर निसार लोगों के पसंदीदा स्टार थे। लोग उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब रहते थे। साल 1931 में रिलीज हुई हिंदी सिनेमा की बेहतरीन फिल्म ‘शीरीं फरहाद’ और ‘लैला मजनूं’ जैसी फिल्मों में मास्टर निसार की अहम भूमिका थी। कलकत्ता के मदन थिएटर से निकले मास्टर निसार उर्दू के अच्छे जानकार थे जिसकी वजह से फिल्मों में उनका दर्जा काफी ऊंचा माना जाता था। टॉकीज ऐरा में भी मास्टर निसार ने खूब नाम कमाया था लेकिन इसके बाद उनका सितार गर्दिश में चला गया। धीरे-धीरे काम मिलना बंद हो गया। यहां तक कि रोजमर्रा में पैसों की कमी आने लगी। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मास्टर निसार को हाजी अली दरगाह पर भीख मांगते हुए भी देखा जाने लगा था। आखिर में बीमारी के चलते उनका निधन हो गया था। कहा जाता है कि उनके देहांत पर कोई आंसू बहाने वाला तक नहीं था।