प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता और बीजेपी के गुरदासपुर से सांसद सनी देओल का एक समय मानना था कि वो राजनीति के लिए नहीं बने हैं। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया और सांसद बन गए। वहीं जब साल 2014 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले सनी देओल से राजनीति में आने पर सवाल पूछा गया था तब उन्होंने इससे इनकार कर दिया था।

उन्होंने कहा था कि वो ‘उस ढंग’ के आदमी नहीं हैं। सनी देओल ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि वो राजनीति के लिए नहीं बने हैं। उन्होंने कहा था, ‘मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता क्योंकि कल क्या होगा कोई नहीं जानता। हां मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि मैं उस ढंग का आदमी नहीं हूं और मैं राजनीति के लिए नहीं बना हूं।’

देश में वो किस तरह का बदलाव चाहते हैं? सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि बदलाव की शुरुआत हर व्यक्ति को खुद से करनी होगी। उन्होंने कहा था, ‘बदलाव पहले हम सबको अपने अंदर लाना होगा। हमें हर चीज ढंग से करने की जरूरत है। अगर हम कोई काम करने जा रहे हैं तो हमें इसके लिए रिश्वत नहीं देना चाहिए।’

बतौर सांसद सनी देओल कई बार विवादों में भी रहे। किसान आंदोलन के दौरान भी उन पर कई सवाल उठाए गए जब उन्होंने किसान आंदोलन के मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी थी। हालांकि बाद में उन्होंने एक नपा तुला बयान दिया था कि वो बीजेपी और किसानों के साथ हैं।

सनी देओल को संसद में उपस्थिति को लेकर भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। 17 वीं लोकसभा के पहले सत्र के 37 दिनों में वो 28 दिन तक संसद में मौजूद नहीं रहे थे।

 

सनी देओल के पिता धर्मेंद्र भी कुछ समय के लिए राजनीति में आए थे हालांकि कुछ समय बाद ही वो इससे अलग हो गए थे। साल 2004 में वो बीकानेर से सांसद बने थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि राजनीति में आने का उनका मन नहीं था, अटल बिहारी बाजपेई के कहने पर वो राजनीति में आए थे।

उन्होंने बिना सोचे समझे उन्हें हां कह दिया था जिसका उन्हें पछतावा भी हुआ था। उन्होंने बताया था कि हां करने के बाद पछतावे में उन्होंने अपना सिर शीशे में मार लिया था।