हिंदी सिनेमा इतिहास की श्रेष्ठ फिल्मों में गिनी जाने वाली फ़िल्म, ‘शोले’ को रिलीज़ हुई आज 46 साल हो गए हैं। रमेश सिप्पी निर्देशित अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, जया बच्चन, संजीव कुमार, अमजद खान अभिनीत यह फ़िल्म एक आइकॉनिक फ़िल्म मानी गई। फ़िल्म रिलीज़ के बाद इसके एक्टर, एक्ट्रेस तो मशहूर हुए हीं साथ ही फ़िल्म के विलेन ‘गब्बर सिंह’ (अमजद खान) का एक एक डायलॉग दर्शकों की जुबान पर चढ़ गया था।

अमजद ख़ान ने शोले के बाद कई फ़िल्मों में काम किया हालांकि उन्हें शोले जैसी लोकप्रियता नहीं मिली। उनकी कुछ अच्छी फिल्में फ्लॉप भी हुईं जिसे लेकर एक इंटरव्यू के दौरान वो बेहद नाराज़ दिखे थे। आईटीएमबी शोज़ को दिए एक पुराने इंटरव्यू में अमजद खान ने कहा था कि राज खोसला की उनकी फिल्म, ‘तेरी मांग सितारों से भर दूं’ अच्छी फ़िल्म थी लेकिन नहीं चली।

उन्होंने उस दौर की फ़िल्मों की आलोचना में कहा था, ‘ये कोई नहीं समझ पाया कि कौन सी फिल्म चलती है, कौन सी नहीं। कुत्तों की, घोड़ों की फिल्में चल जातीं हैं। कुत्ते कोर्ट में आकर गवाही देते हैं, चल जाती है फ़िल्म। सांप उठाकर ट्रांजिस्टर छुपा देता है, कुत्ता वीडियो कैमरा छुपा देता है, फिल्में चल जातीं हैं।’

उन्होंने आगे कहा था, ‘बड़ी अजीब बात है लेकिन कभी-कभी लोग कहते हैं कि फ़िल्म और कहानी उसी वक्त सराही जाती है जब लोग उससे खुद को जोड़ते हैं। इससे तो यही निष्कर्ष निकलता है कि लोग आदमियों से खुद को कम और जानवरों से ज्यादा जोड़ते हैं।’

 

वहीं शोले की बात करें तो फ़िल्म के विलेन के लिए अमजद खान पहली पसंद नहीं थे बल्कि अभिनेता डैनी डेन्जोंगपा को फ़िल्म के लिए साइन किया गया था। डैनी की तस्वीर फ़िल्म के कास्ट के साथ ‘स्क्रीन’ मैगजीन के कवर पेज पर भी छप गई लेकिन तभी डैनी को डेट्स की दिक्कत हो गई। वो ‘धर्मात्मा’ की शूटिंग कर रहे थे और शूट के सिलसिले में ही उन्हें अफगानिस्तान जाना पड़ा।

इधर शोले की शूटिंग शुरू होने वाली थी। ऐसे में रमेश सिप्पी को अमजद खान मिले। रमेश सिप्पी को अमजद तो विलेन के रोल के लिए बेहद पसंद आए लेकिन बाकी कास्ट को अमजद की कास्टिंग से आपत्ति थी। अमजद की आवाज़ को लेकर कास्ट आश्वस्त नहीं थी कि वो गब्बर सिंह के रोल में पूरी तरह फिट हो पाएंगे। लेकिन अमजद खान ने सबको झुठलाते हुए अपने अभिनय से फिल्म इतिहास में अपना नाम दर्ज़ कर लिया।