बॉलीवुड एक्टर विनोद खन्ना (Vinod Khanna) का साल 2017 में निधन हो गया था। उनका निधन कैंसर की वजह से हुआ था। उनका जन्म 6 अक्टूबर, 1946 को पेशावर (पाकिस्तान) में हुआ था। बंटवारे के बाद उनकी फैमिली परिवार के साथ मुंबई आ गई थी और बाद में दिल्ली। उन्होंने अपनी पढ़ाई मुंबई में की थी। एक्टर ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया था। मगर जब उनका करियर पीक पर था तो उनके एक फैसले ने करियर को बर्बाद कर दिया और उनके उस फैसले से परिवार में भी भूचाल आ गया था।
विनोद खन्ना ने हिंदी फिल्मों में अपने करयिर की शुरुआत फिल्म ‘मन के मीत’ से साल 1968 से की थी। ये सुनील दत्त की फिल्म थी। जब विनोद ग्रैजुएशन में थे तो सुनील ने उन्हें देखा था। इसमें उन्होंने सोम दत्त का किरदार निभाया था। बताया जाता है कि ये साउथ की कुमार पेन का रीमेक थी। शुरुआती दिनों में एक्टर ने कई फिल्मों में सपोर्टिंग और विलेन का भी किरदार निभाया था। हालांकि, बाद में उन्हें बतौर लीड पहला ब्रेक फिल्म ‘हम तुम और वो’ से मिला था। इसके बाद विनोद ने कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया था। वो भी बतौर लीड एक्टर।
सफलता के शिखर पर पहुंचकर बनाई दूरी
इसके बाद विनोद खन्ना जब सफलता के शिखर पर पहुंच गए तो उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से ही दूरी बना ली थी. साल 1982 में एक्टर ने फिल्म इंडस्ट्री से दूरी बना ली थी और वो आध्यात्मिक गुरु रजनीश (ओशो) की शरण में चले गए थे। उनके इस फैसले से परिवार तक शॉक्ड था। मानो फैमिली में भूचाल सा आ गया था। वो आश्रम में रहने लगे थे और यहां पर बर्तन धोने और माली का काम किया करते थे। हालांकि, बाद में 1987 में एक्टर ने फिल्म ‘इंसाफ’ से वापसी की थी। आपको बता दें कि वो सुपरस्टार एक्टर राजेश खन्ना के भी फैन थे और उनकी कई फिल्मों में काम भी किया था।
राजनीति में भी रखा कदम
विनोद खन्ना ने एक्टिंग के अलावा राजनीति में भी अपनी किस्मत आजमाई थी। उन्होंने साल 1997 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली थी। उसके अगले साल उन्हें गुरदासपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुना गया था और साल 1999 में लोकसभा के लिए फिर से चुने गए थे। वो कल्चरल और टूरिज्म के लिए यूनियन मिनिस्टर चुने गए थे।